इरडा के रेग्युलेशन बदलाव का असर उपभोक्ता के साथ अर्थव्यवस्था पर डालेगा असर : के.के. पांडेय
कानपुर,। देश के बीमा क्षेत्र में भविष्य में आने वाले रेग्युलेशन बीमा उद्योग ही नहीं बल्कि आटो उद्योग के साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था पर झटके देने वाला होगा। यह आशंका 'इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंश्यूरेंस सर्वेयर एंड लॉस एसेसर' की गोष्ठी में विशेषज्ञों ने जताई है। इसको लेकर 21 नवम्बर को सर्वेक्षक एक बड़ी कार्यशाला का आयोजन करने जा रहे हैं जिसमें वह बीमा क्षेत्र की नियामक संस्था 'इंश्यूरेंस रेग्यूलेटरी एंड डवलपमेंट आथारिटी ऑफ इंडिया (आईआरडीएआई) पर गहन चर्चा करेंगे। 

प्रयागराज में सम्पन्न कार्यशाला में आईआईआईएसएलए के चैप्टर अध्यक्ष के. के. पांडेय ने बताया कि आईआरडीएआई (इरडा) निकट भविष्य में एक ऐसा रेग्युलेशन लेकर आ रही है जिससे की सिर्फ साधारण बीमा उद्योग ही नहीं बल्कि आटो उद्योग व भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी असर डालने वाला होगा। संस्था के अध्यक्ष के मुताबिक बीमा के क्षेत्र में इरडा के गठन का उद्देश्य बीमा उपभोक्ता के हितों का संरक्षण, बीमा उद्योग की प्रगति व सस्ता बीमा अपने ग्राहकों को उपलब्ध कराना था, लेकिन इरडा के नीतियों से बीमा प्रीमियम का बढ़ना तय है। जिसकी कीमत उपभोक्ता को ही चुकानी होगी। 

बताया कि इरडा ने रेग्युलेशन 2019 का एक्सपोसर ड्राफ्ट जारी करते हुए इस पर अपनी राय व विचार देने के लिए 21 नवम्बर 2019 तक का समय निर्धारित किया है। इस किस प्रकार से उपभोक्ता व बीमा क्षेत्र को प्रभावित करने वाला है कि इसको लेकर आठ सूत्रीय सुझाव चैप्टर अध्यक्ष की ओर से जताये गए हैं। उन्होंने कहा कि इरडा अगर अपने इस रेग्युलेशन में सुधार नहीं करती है तो इसला इसका पुरजोर विरोध करेगी और उपभोक्ता को न्याय दिलाएगी। प्रयागराज जनपद में इस सम्बंध में हुई चैप्टर गोष्ठी में को-आर्डिनेटर बीए प्रसाद, पीके सिंह (आरएमसी), सुभाष तिवारी, डीके सिंह, मनोज श्रीवास्तव, अनिल यादव, पीके त्रिपाठी व अन्य सभी सर्वेक्षक उपस्थित रहें।