कल्याण अधिकारी ने छात्रों को बेरहमी से पीटा







छात्रों ने शिक्षिका को था पीटा 


शिक्षका ने लगाया था प्रताड़ना का आरोप  



















रायबरेली,।  बुधवार को बालक गृह के अधीक्षक प्रभात शर्मा और बाल कल्याण अधिकारी आशीष सिंह ने छात्रों को मुर्गा बनाकर बेरहमी से पीटा। पूरा दृश्‍य वहां लगे सीसी कैमरे में कैद हो गया। पहले शिक्षक ने छात्रों को पकड़ कर पीटा फिर मुर्गा बनाया। बता दें, बीते सोमवार को इन छात्रों ने शिक्षिका (बाल कल्याण अधिकारी) ममता दुबे को पीटा था। जिसके बाद बच्चों के साथ निर्ममता पूर्वक बर्ताव किया गया। 


मामला मिल एरिया के देवानंदपुर में संचालित गांधी सेवा निकेतन का है। यहां गांधी सेवा निकेतन में अनाथ बच्चों के रहने, खाने और पठन-पाठन की व्यवस्था है। इसे वित्तीय सहायता प्रदेश सरकार द्वारा मिलती है। संस्था के प्रबंधक अरुण मिश्रा हैं, जिन पर शिक्षिका ममता दुबे ने उत्पीड़न का आरोप पूर्व में लगाया था। उसी के बाद से संस्था के भीतर माहौल पूरी तरह से बिगड़ चुका है। अभी शिक्षिका की पिटाई की जांच पूरी नहीं हुई और फिर दूसरा वीडिया वायरल होने से प्रशासन भी हरकत में आ गया है। इस प्रकरण में ममता की तहरीर पर मारपीट करने वाले बच्चों पर मुकदमा भी दर्ज कर लिया गया है। डीएम शुभ्रा सक्सेना ने बताया कि एडीएम प्रशासन, एएसपी और जिला प्रोबेशन अधिकारी की टीम बनाकर जांच कराई जा रही है। मामले में जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। 


गौरतलब हो कि 11 नवंबर की सुबह बाल कल्याण अधिकारी ममता दुबे बच्चों को पढ़ा रही थीं। इसी दौरान किसी बात को लेकर बच्चे भड़क गए और उनके साथ हाथापाई करने लगे। एक बच्चे ने तो उन पर कुर्सी दे मारी। वह किसी तरह कक्षा से बचकर बाहर निकली। सूचना मिलने पर संस्था के प्रबंधक अरुण कुमार मिश्र और जिला प्रोबेशन विभाग से बाल संरक्षण अधिकारी वीरेंद्र पाल वहां आ गए। बच्चों ने आरोप लगाया कि ममता दुबे उन्हें अनाथ कहकर बुलाती हैं। पढऩे और खेलने कूदने में रोकटोक करती हैं। इसी वजह से उन्होंने मारपीट की।


उधर, पीड़िता का कहना था कि प्रबंधक से उनका विवाद चल रहा है। उन्हें बिना वजह नौकरी से निकाल दिया गया था, जिसकी शिकायत उन्होंने डीएम नेहा शर्मा से की थी। जिसके बाद उन्हें फिर रख लिया गया मगर, प्रबंधक उन्हें प्रताड़ित कर रहे थे। जब डीएम का तबादला हो गया तो साजिशन बच्चों को भड़काकर उन पर हमला कराया गया। उन्होंने मामले की शिकायत सिटी मजिस्ट्रेट से की है। वहीं प्रबंधक ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है।