खाद-बीज खरीदने को किसान शहर-कस्बे की दौड़ लगा रहे हैं







खाद-बीज की समस्या है


सब्सिडी मिलती नहीं है







 पिसावां (सीतापुर) ।   गांवों में रबी फसलों की बोआई का दौर चल रहा है। किसान का दिन-रात खेत-खलिहान में ही बीत रहा है। कोई खेत की जोताई कर रहा है तो कोई रबी फसलों की बोआई कर रहा है। यहीं नहीं कहीं कोई धान फसल की कटाई-मड़ाई कर रहा है तो कहीं पेड़ी गन्ना काटने कर गेहूं बोने की जल्दी है। रबी फसलों की बोआई के लिए खाद-बीज खरीदने को किसान शहर-कस्बे की दौड़ लगा रहे हैं। आजकल गांवों में कुछ ऐसा ही माहौल है। खाद-बीज की समस्या है। इफ्को, कृभको, जीएसएफसी ब्रांड की डीएपी का दाम 1200 रुपये प्रति बैग है, जबकि बाजार में ये डीएपी महंगी है। कहीं-कहीं 1250 रुपये के भाव में बिक रही है। बीज के दाम भी महंगे हैं। सैदापुर के किसान केशव राम के मुताबिक खाने के लिए धान रखा था, धनाभाव में रबी की बोआई के लिए उसे बेचना पड़ा है। 1320 रुपये से 40 किग् गेहूं बीज खरीदा है। गुरुसंडा के हरिपाल ने बताया कि, राजकीय कृषि बीज भंडार पर सब्सिडी के आधार पर फसल बीज मिलना कहने की बात है पर सब्सिडी मिलती नहीं है। माथन के सुरेंद्र पाल ने बताया, उन्होंने पिछले साल राजकीय बीज भंडार से गेहूं बीज खरीदा था पर सब्सिडी आज तक नहीं मिली है।राजकीय कृषि बीज भंडार प्रभारी देशराज का कहना है कि, किसानों को सब्सिडी न मिलने का एक बड़ा कारण ये भी है कि प्रत्येक किसान के जोत के मुताबिक बीज का निर्धारण है। यदि वह निर्धारित मात्रा में पूरा बीज उठा लेता है तो उसे उसी आधार पर सब्सिडी मिलती है। यदि वह अगले से फिर बीज खरीदता है तो सब्सिडी नहीं मिलेगी फिर सब्सिडी उसे तीसरे साल में खरीदे गए बीज पर ही मिलेगी। यदि वह एक बार में निश्चित जोत पर निर्धारित बीज नहीं उठाता है कुछ कम उठाता है तो वह शेष बीज अगले साल उठा सकता है और उसे उस निर्धारित मात्रा में उठाए गए बीज पर सब्सिडी भी मिल जाएगी।













 


 














 


 



 













 


 



 













 


 



 













 


 



 













 


 



 













 


 



 














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