मंत्रिपरिषद ने 13 प्रस्तावों पर लगाई मुहर

मंत्रिपरिषद ने 13 प्रस्तावों पर लगाई मुहर


 


मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय

 

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आज यहां लोक भवन में सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए:-

'बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस-वे परियोजना' के ई.पी.सी. पद्धति पर क्रियान्वयन हेतु परियोजना के विभिन्न पैकेजों हेतु निर्माणकर्ताओं के चयन पर अनुमोदन के सम्बन्ध में

 

मंत्रिपरिषद ने 'बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस-वे परियोजना' के इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेन्ट एण्ड कन्सट्रक्शन (ईपीसी) पद्धति पर क्रियान्वयन हेतु परियोजना के विभिन्न पैकेजों हेतु निर्माणकर्ताओं के चयन के अनुमोदन सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। मंत्रिपरिषद ने 'सचिव समिति' की बैठक दिनांक 31 अक्टूबर, 2019 में प्रदान की गई संस्तुति के क्रम में 'बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस-वे' परियोजना के 06 पैकेजों के ईपीसी पद्धति पर क्रियान्वयन हेतु न्यूनतम वित्तीय निविदाएं प्रस्तुत करने वाले निर्माणकर्ताओं-पैकेज-1 व पैकेज-2 के लिए मे0 एप्को इन्फ्राटेक प्रालि, पैकेज-3 के लिए मे. अशोका बिल्डकाॅन लि., पैकेज-4 व पैकेज-5 के लिए मे. गावर कन्सट्रक्शन लि तथा पैकेज-6 के लिए मे. दिलीप बिल्डकाॅन लि. के चयन को अनुमोदित कर दिया है। 

'बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस-वे परियोजना' के क्रियान्वयन, निर्माण के अनुश्रवण इत्यादि कार्यों के लिए तकनीकी स्टाफ को रखे जाने की प्रक्रिया पर भी मंत्रिपरिषद ने सैद्धान्तिक अनुमोदन प्रदान कर दिया है। 

इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण से बुन्देलखण्ड क्षेत्र के जनपदों के लिए प्रदेश की राजधानी से 'आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे' एवं 'यमुना एक्सप्रेस-वे' के माध्यम से देश की राजधानी तक त्वरित गति की सुगम यातायात सुविधा उपलब्ध होगी। एक्सप्रेस-वे के निर्माण से सम्पूर्ण क्षेत्र में सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। 

04-लेन प्रवेश नियंत्रित एक्सप्रेस-वे होने के कारण इस एक्सप्रेस-वे से ईंधन की महत्वपूर्ण बचत एवं प्रदूषण नियंत्रण भी सम्भव हो सकेगा। परियोजना से आच्छादित क्षेत्रों का सामाजिक एवं आर्थिक विकास के साथ ही कृषि, वाणिज्य, पर्यटन तथा उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। प्रस्तावित एक्सप्रेस-वे विभिन्न उद्योगों की स्थापना हेतु एक उत्प्रेरक के रूप में सहायक होगा। एक्सप्रेस-वे के निकट इण्डस्ट्रियल टेªनिंग इंस्टीट्यूट, शिक्षण संस्थान, मेडिकल संस्थान आदि की स्थापना हेतु भी अवसर उपलब्ध होंगे।

एक्सप्रेस-वे के निर्माण में बुन्देलखण्ड क्षेत्र मंे पर्यटन विकास को बल मिलेगा एवं विकास से वंचित इस क्षेत्र का सर्वांगीण एवं बहुमुखी विकास सम्भव हो सकेगा। परियोजना के क्रियान्वयन तथा उसके समीप शिक्षण संस्थाओं, कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना से प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 50,000 व्यक्तियों के लिए रोजगार सृजन की सम्भावना है।

'बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस-वे परियोजना' की आंकलित सिविल कार्य निर्माण लागत लगभग 14849.09 करोड़ रुपए है। इस धनराशि के लिए विभिन्न बैंकों से लगभग 7000 करोड़ रुपए के ऋण लिया जाना प्रस्तावित है। परियोजना के लिए वांछित भूमि के लिए कुल 2202.38 करोड़ रुपए की धनराशि का आंकलन किया गया है, जिसके सापेक्ष शासन द्वारा 2157 करोड़ रुपए की धनराशि अवमुक्त कर दी गयी है। परियोजना निर्माण में लगभग 36 माह का समय लगना सम्भावित है। 

 

'गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे परियोजना' के ई0पी0सी0 पद्धति पर क्रियान्वयन हेतु

परियोजना के विभिन्न पैकेजों हेतु निर्माणकर्ताओं के चयन के अनुमोदन के सम्बन्ध में

 

मंत्रिपरिषद ने 'गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे परियोजना' के इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेन्ट एण्ड कन्सट्रक्शन (ई0पी0सी0) पद्धति पर क्रियान्वयन हेतु परियोजना के विभिन्न पैकेजों हेतु निर्माणकर्ताओं के चयन के अनुमोदन सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। मंत्रिपरिषद ने 'सचिव समिति' की बैठक दिनांक 31 अक्टूबर, 2019 में प्रदान की गई संस्तुति के क्रम में 'गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे' परियोजना के दोनों पैकेजों के (ईपीसी) पद्धति पर क्रियान्वयन हेतु न्यूनतम वित्तीय निविदाएं प्रस्तुत करने वाले निर्माणकर्ताओं-पैकेज-1 के लिए मे. एप्को इन्फ्राटेक प्रा.लि. तथा पैकेज-2 के लिए मे. दिलीप बिल्डकाॅन लि0 के चयन को अनुमोदित कर दिया है।

'गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे' परियोजना के क्रियान्वयन, निर्माण के अनुश्रवण इत्यादि कार्यों के लिए तकनीकी स्टाफ को रखे जाने की प्रक्रिया पर भी मंत्रिपरिषद ने सैद्धान्तिक अनुमोदन प्रदान कर दिया है।

इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण से गोरखपुर तथा आस-पास के जनपदों व प्रदेश की राजधानी तथा पूर्वान्चल एक्सप्रेस-वे, 'आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे' एवं 'यमुना एक्सप्रेस-वे' के माध्यम से देश की राजधानी तक त्वरित गति की सुगम यातायात सुविधा उपलब्ध होगी। 04-लेन प्रवेश नियंत्रित इस लिंक एक्सप्रेस-वे से ईंधन की महत्वपूर्ण बचत एवं प्रदूषण नियंत्रण भी सम्भव हो सकेगा। परियोजना से आच्छादित क्षेत्रों का सामाजिक एवं आर्थिक विकास के साथ ही कृषि, वाणिज्य, पर्यटन तथा उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा।

'गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे' आच्छादित क्षेत्रों में विभिन्न उत्पादक इकाइयों, विकास केन्द्रों तथा कृषि उत्पादन क्षेत्रों को प्रदेश की राजधानी एवं राष्ट्रीय राजधानी से जोड़ने हेतु एक औद्योगिक काॅरीडोर के रूप में सहायक होगा। यह लिंक एक्सप्रेस-वे, हैण्डलूम उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों, कोल्ड स्टोरेज, भण्डारण गृह, मण्डी तथा दुग्ध आधारित उद्योगांे आदि की स्थापना हेतु एक उत्प्रेरक के रूप में सहायक होगा।

प्रस्तावित लिंक एक्सप्रेस-वे के निकट इण्डस्ट्रियल टेªनिंग इंस्टीट्यूट, शिक्षण संस्थान, मेडिकल संस्थान आदि की स्थापना हेतु भी अवसर उपलब्ध होंगे। प्रस्तावित लिंक एक्सप्रेस-वे के निर्माण से परियोजना आच्छादित क्षेत्रों के पर्यटन विकास को बल मिलेगा एवं विकास से वंचित प्रदेश के इन पूर्वी क्षेत्रों में सर्वांगीण एवं बहुमुखी विकास सम्भव हो सकेगा। परियोजना के क्रियान्वयन तथा उसके समीप शिक्षण संस्थाओं, कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना से प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 10,000 व्यक्तियों के लिए रोजगार सृजन की सम्भावना है।

'गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे परियोजना' की आंकलित सिविल कार्य निर्माण लागत लगभग 5,876.68 करोड़ रुपए है। इस धनराशि के लिए विभिन्न बैंकों से लगभग 2275 करोड़ रुपए के ऋण लिया जाना प्रस्तावित है। परियोजना के लिए वांछित भूमि के लिए कुल 1563.90 करोड़ रुपए की धनराशि का आंकलन किया गया है, जिसके सापेक्ष शासन से 940 करोड़ रुपए की धनराशि अवमुक्त कर दी गयी है। परियोजना निर्माण में लगभग 36 माह का समय लगना सम्भावित है।

 

अम्बेडकर विशेष रोजगार योजना का नाम परिवर्तित करते हुए बाबा साहब  आंबेडकर रोजगार प्रोत्साहन योजना रखे जाने एवं योजना के क्रियान्वयन हेतु वर्ष 1991 में निर्गत दिग्दर्शिका को अवक्रमित करते हुए नवीन दिग्दर्शिका एवं उसमें उल्लिखित मार्ग-दर्शी सिद्धान्तों (गाइडलाइंस) सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूरी

 

मंत्रिपरिषद ने ग्राम्य विकास विभाग द्वारा संचालित अम्बेडकर विशेष रोजगार योजना का नाम परिवर्तित करते हुए बाबा साहब आंबेडकर रोजगार प्रोत्साहन योजना रखे जाने एवं योजना के क्रियान्वयन हेतु वर्ष 1991 में निर्गत दिग्दर्शिका को अवक्रमित करते हुए नवीन दिग्दर्शिका एवं उसमें उल्लिखित मार्ग-दर्शी सिद्धान्तों (गाइडलाइंस) सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। योजना में आने वाली कठिनाइयों के निराकरण के लिए मंत्रिपरिषद ने मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किये जाने के प्रस्ताव को भी अनुमोदित कर दिया है।

बाबा साहब आंबेडकर रोजगार प्रोत्साहन योजना का प्रमुख उद्देश्य, पूर्व की भांति, ग्रामीण क्षेत्रों में नवयुवकों को उद्यमिता की ओर उन्मुख करते हुए उनकी ऊर्जा को परिवार के जीविकोपार्जन, समाज तथा राष्ट्र निर्माण के उपयोगी बनाना, ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय संसाधन को विकसित कर सतत रोजगार उपलब्ध कराना, ग्रामीण आबादी का शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन रोकना तथा शहरी क्षेत्र के संसाधनों पर पड़ने वाले अतिरिक्त भार में कमी लाना है।

पूर्व की भांति यह योजना प्रत्येक वर्ग, जाति और धर्म के लोगों के लिए है। सरकार की समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान की प्रतिबद्धताओं के अनुरूप प्रस्तावित परियोजनाओं में लाभान्वित होने वाले व्यक्तियों में अनुसूचित जाति/जनजाति के लाभार्थी न्यूनतम 23 प्रतिशत एवं दिव्यांग लाभार्थियों हेतु 05 प्रतिशत क्षैतिज (होरिजाॅन्टल) अर्थात अनुसूचित जाति/जनजाति में 05 प्रतिशत एवं सामान्य में 05 प्रतिशत लाभार्थी होंगे। अनुसूचित जाति/जनजाति/दिव्यांग श्रेणी के लाभार्थी उपलब्ध न होने की दशा में या अपवादित मामलों में इस न्यूनतम सीमा के शिथिलीकरण का अधिकार उच्च स्तरीय टास्क फोर्स का होगा। 

इस योजना के अन्तर्गत पूर्व में अनुसूचित जाति/जनजाति एवं पर्वतीय क्षेत्र के लाभार्थियों को प्रति इकाई लागत का 33 प्रतिशत अथवा अधिकतम 10,000 रुपए तथा अन्य लाभार्थियों के लिए 25 प्रतिशत अथवा अधिकतम 7,500 रुपए तक राज्य सहायता शासकीय अनुदान देय था। संशोधित व्यवस्था में अनुसूचित जाति/जनजाति/दिव्यांग को 35 प्रतिशत अनुदान अथवा अधिकतम 70,000 रुपए (जो भी कम हो) तथा सामान्य जाति को 25 प्रतिशत अथवा अधिकतम 50,000 रुपए (जो भी कम हो) तक ऋण अनुदान दिया जाएगा। संशोधित व्यवस्था में उन्हीं लाभार्थियों को ऋण प्रदान किया जाएगा, जिनके परिवार की समस्त स्रोतों से वार्षिक आय 02 लाख रुपए से अधिक न हो। लाभार्थी के चयन की न्यूनतम आयु 18 वर्ष तथा अधिकतम आयु 65 वर्ष होगी। अन्य किसी योजना जैसे मुद्रा योजना, प्रधानमंत्री रोजगार योजना इत्यादि के अन्तर्गत ऋण प्राप्त लाभार्थी इस योजना के पात्र नहीं होंगे।

इस योजना के तहत आॅनलाइन ऋण आवेदन प्रक्रिया अपनायी जाएगी। यह ग्राम्य विकास विभाग की वेबसाइट तकण्नचण्दपबण्पद पर प्रस्तुत की जाएगी। जब तक आॅन लाइन आवेदन प्रक्रिया प्रदेश व जिला स्तर पर पूर्ण रूप से लागू नहीं हो जाती, तब तक आवेदकों के आवेदन पत्र हार्ड काॅपी में व्यक्तिगत रूप से अथवा पंजीकृत डाक से प्राप्त किये जा सकते हैं। चयन प्रक्रिया जिलाधिकारी द्वारा निर्धारित जिला स्तरीय चयन समिति द्वारा की जाएगी। इस योजना में संशोधित व्यवस्था के तहत कृषि उत्पादन आयुक्त के स्थान पर आयुक्त, ग्राम्य विकास की अध्यक्षता में टास्क फोर्स समिति गठित की जाएगी।

चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 में योजना के क्रियान्वयन हेतु 50 करोड़ रुपये का बजट प्राविधानित है। इसके माध्यम से अनुसूचित जाति/जनजाति/दिव्यांग श्रेणी के लगभग 3570 लाभार्थी तथा सामान्य श्रेणी के लगभग 05 हजार लाभार्थी, कुल लगभग 8570 लाभार्थियों के लिए रोजगार सृजन की सम्भावना है।  

अलीगढ़ मण्डल में 'राजा महेन्द्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय अलीगढ़' की स्थापना हेतु 'उप्र राज्य विश्वविद्यालय, अधिनियम-1973' में संशोधन का निर्णय

 

मंत्रिपरिषद ने अलीगढ़ मण्डल में 'राजा महेन्द्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय अलीगढ़' की स्थापना हेतु 'उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय, अधिनियम-1973' में संशोधन का निर्णय लिया है। इसके अनुसार भारत के संविधान के अनुच्छेद-213 के खण्ड (1) द्वारा प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करके 'राजा महेन्द्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय अलीगढ़' की स्थापना के लिए 'उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय (तृतीय संशोधन) अध्यादेश, 2019' को प्रख्यापित किए जाने के लिए राज्यपाल जी से अनुरोध किए जाने तथा प्रस्तावित 'उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय (तृतीय संशोधन) अध्यादेश, 2019' को प्रख्यापित कराए जाने के उपरान्त उसके प्रतिस्थानी विधेयक के प्रख्यापन के सम्बन्ध में मंत्रिपरिषद ने मंजूरी प्रदान कर दी है। 

उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 की धारा-4 में नए विश्वविद्यालयों की स्थापना एवं विश्वविद्यालयों के क्षेत्रों अथवा नामों में परिवर्तन का प्राविधान है। इस प्राविधान के अन्तर्गत 'राजा महेन्द्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय, अलीगढ़' की स्थापना किए जाने हेतु उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 की धारा-4 में संशोधन आवश्यक है।

जनपद अलीगढ़ डाॅ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा के क्षेत्राधिकार में स्थित है। 'राजा महेन्द्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय, अलीगढ़' की स्थापना के पश्चात विश्वविद्यालय के प्रथम परिनियम बनाए जाने तक डाॅ0 भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा के परिनियम एवं अध्यादेश लागू होंगे।

उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 की धारा-5 में शक्तियों के राज्य क्षेत्र का उल्लेख है। जनपद अलीगढ़ डाॅ0 भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा के क्षेत्राधिकार में स्थित है। अलीगढ़ मण्डल में जनपद अलीगढ़, कासगंज, हाथरस एवं एटा जिले सम्मिलित हैं। इसलिए 'राजा महेन्द्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय, अलीगढ़' के क्षेत्राधिकार में जनपद अलीगढ़ सहित मण्डल के अन्य 03 जिले कासगंज, हाथरस एवं एटा रखे जाएंगे। ज्ञातव्य है कि अलीगढ़ मण्डल में कोई राज्य विश्वविद्यालय स्थापित नहीं है। 

 

उप्र नगर पालिका (भवन या भूमि या दोनों के वार्षिक मूल्य पर कर) नियमावली-2019 प्रख्यापित किए जाने का निर्णय

 

मंत्रिपरिषद ने उप्र नगर पालिका (भवन या भूमि या दोनों के वार्षिक मूल्य पर कर) नियमावली-2019 के प्रख्यापन के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। 

नगर पालिका परिषदों/नगर पंचायतों में भवन या भूमि या दोनों के वार्षिक मूल्य में एकरूपता लाने एवं कर निर्धारण की प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और वस्तुनिष्ठ बनाने के उद्देश्य से नगर पालिका परिषदों एवं नगर पंचायतों की सीमा में स्थित भवनों और भूमियों पर सम्पत्ति कर लगाए जाने के लिए उप्र नगर पालिका अधिनियम-1916 (उप्र अधिनियम सं0-2 सन-1916) की धारा-153 और 296 के अधीन प्राप्त अधिकारों एवं शक्तियों का प्रयोग करते हुए उप्र नगर पालिका (भवन या भूमि या दोनों के वार्षिक मूल्य पर कर) नियमावली-2019 प्रख्यापित की जा रही है। 

प्रस्तावित नियमावली में सम्पत्तियों को चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है तथा सम्पत्तियों को उनकी अवस्थिति, भवन के निर्माण की प्रकृति के आधार पर 12 समूहों में बांटा गया है। कर की गणना का मूल आधार प्रत्येक 02 वर्ष में किए जाने वाले प्रत्येक भवन समूह के लिए कारपेट एरिया की प्रति इकाई क्षेत्रफल (रु0 प्रति वर्ग फुट) हेतु न्यूनतम मासिक किराए की दर पर आधारित होगी। अनावसिक भवनों के लिए सम्पत्ति कर की अधिकतम दरें आवासिक का 03 गुना निर्धारित किया गया है। नगर पालिका परिषदों एवं नगर पंचायतों की वित्तीय स्थिति इस नियमावली के प्रख्यापित हो जाने के फलस्वरूप प्राप्त होने वाले करों के दृष्टिगत सुदृढ़ होगी।

उ0प्र0 नगर निगम अधिनियम, 1959 की धारा-172 में प्रदेश के नगर निगम सीमा में स्थित भवन और भूमि पर सम्पत्ति कर लगाए जाने का प्राविधान है। सम्पत्ति कर के अन्तर्गत सामान्य कर (भवन कर), जल कर और जल निस्सारण कर (सीवर कर) आते हैं। 

कर निर्धारण की प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और वस्तुनिष्ठ बनाने के उद्देश्य से अधिनियम-1959 में संशोधन कर स्व-निर्धारण का विकल्प लागू किया गया है। वर्तमान में प्रवृत्त सम्पत्ति कर नियमावली-2013 के आधार पर नगर निगमों में सम्पत्ति कर की वसूली की जा रही है।

नगर पंचायतों/नगर पालिका परिषदों में भवन या भूमि या दोनों के वार्षिक मूल्य पर कर लगाने की कोई नियमावली अद्यतन विद्यमान नहीं है। इस कारण उप्र नगर निगम (सम्पत्ति कर) नियमावली-2000 के आधार पर उपविधि बनाकर नगर पालिका परिषदों/नगर पंचायतों में कर वसूली की कार्यवाही की जाती है। प्रदेश स्थित नागर निकायों की वित्तीय स्थिति सुदृढ़ करने के उद्देश्य से गठित उप्र नगर पालिका वित्तीय संसाधन विकास बोर्ड द्वारा नगर पंचायतों/नगर पालिका परिषदों की सीमा में स्थित सम्पत्तियों के वार्षिक मूल्य पर कर लगाने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश नगर पालिका (भवन या भूमि या दोनों के वार्षिक मूल्य पर कर) नियमावली, 2019 का प्रारूप उपलब्ध कराया गया। 

मदरसा आधुनिकीकरण (एसपीक्यूईएम) योजना को भारत सरकार द्वारा निर्गत नवीन गाइड लाइन्स के अनुसार, नवीनतम नाम, स्कीम फाॅर प्रोवाइडिंग एजुकेशन इन मदरसा (एसपीईएम) के अन्तर्गत प्रदेश में आच्छादित मदरसों को

केन्द्रांश 60 प्रतिशत तथा 40 प्रतिशत राज्यांश के अनुसार व्यय भार निर्धारण किए जाने का निर्णय

 

मंत्रिपरिषद ने मदरसा आधुनिकीकरण (एसपीक्यूईएम) योजना को भारत सरकार द्वारा निर्गत नवीन गाइड लाइन्स के अनुसार, नवीनतम नाम, स्कीम फाॅर प्रोवाइडिंग एजुकेशन इन मदरसा (एसपीईएम) के अन्तर्गत प्रदेश में आच्छादित मदरसों को केन्द्रांश 60 प्रतिशत तथा 40 प्रतिशत राज्यांश के अनुसार व्यय भार निर्धारण किए जाने का निर्णय लिया है। पूर्व में, मदरसा आधुनिकीकरण योजना शत-प्रतिशत केन्द्र पुरोनिधानित योजना थी। 

स्कीम फाॅर प्रोवाइडिंग एजुकेशन इन मदरसा (एसपीईएम) के अन्तर्गत आच्छादित मदरसों के शिक्षकों को राज्य सरकार द्वारा पूर्व से दिए जा रहे अतिरिक्त वित्तीय सहयोग को यथावत बनाये रखते हुए वर्ष 2018-19 एवं उसके आगे के वर्षों के लिए राज्यांश 40 प्रतिशत के रूप में वर्ष 2018-19 हेतु 10667.52 लाख रुपए एवं 2019-20 हेतु 10667.52 लाख रुपए अर्थात कुल अतिरिक्त व्यय भार 21335.04 लाख रुपए होगा। इस पर भी मंत्रिपरिषद ने मंजूरी प्रदान कर दी है।

प्रदेश में मदरसा आधुनिकीकरण योजना (एस0पी0क्यू0ई0एम0) के अन्तगर्गत 7442 मदरसे आच्छादित हैं, जिसमें 5212 स्नातक शिक्षक तथा 15,914 परास्नातक/बी0एड0 शिक्षक कार्यरत हैं। इस व्यवस्था से राज्य के अन्तर्गत शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा।

अरबी फारसी मदरसों के आुधनिकीकरण के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय, शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, भारत सरकार नई दिल्ली की योजना स्कीम फाॅर प्रोवाइडिंग एजुकेशन इन मदरसा (एसपीईएम) हेतु निर्गत गाइड लाइन्स दिनांक 29 अक्टूबर, 2008 के अनुसार उत्तर प्रदेश में लागू है।  

 

गोरखपुर नगर निगम के कार्यालय भवन निर्माण की प्रायोजना में प्राविधानित उच्च विशिष्टियों का प्रस्ताव अनुमोदित

 

मंत्रिपरिषद ने गोरखपुर नगर निगम के कार्यालय भवन निर्माण की प्रायोजना में प्राविधानित उच्च विशिष्टियों के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। ज्ञातव्य है कि नगर निगम, गोरखपुर में 70 वार्ड हैं। इन वार्डों से निर्वाचित 70 पार्षदों तथा 10 नामित पार्षदों सहित नगर निगम, गोरखपुर के निकाय बोर्ड में कुल 80 पार्षद हैं। नगर निगम सदन की बैठक में 80 पाषर्दों, जनप्रतिनिधियों एवं अन्य महत्वपूर्ण नागरिकों द्वारा प्रतिभाग किया जाता है। वर्तमान नगर निगम भवन पुराना है, जिसमें निर्मित सदन भवन की क्षमता बैठक हेतु पर्याप्त नहीं है। नगर निगम, गोरखपुर सदन की बैठक दिनांक 30.05.2018 में कार्यालय भवन/सदन भवन निर्माण हेतु प्रस्ताव पारित किया गया। उक्त कार्य हेतु कांस्ट्रक्शन एण्ड डिजाइन सर्विसेज, उ0प्र0 जल निगम को कार्यदायी संस्था नामित किया गया है। 

कार्यालय भवन का निर्माण कराये जाने हेतु 2367.57 लाख रुपये का आगणन/प्रस्ताव सी0 एण्ड डी0एस0, उ0प्र0 जल निगम द्वारा तैयार किया गया है। प्रस्तुत आगणन की प्राक्कलित धनराशि 2367.57 लाख रुपये के सापेक्ष प्रायोजना हेतु 2345.07 लाख रुपये एवं नियमानुसार देय जी0एस0टी0 की धनराशि, प्रायोजना रचना एवं मूल्यांकन प्रभाग द्वारा आंकलित की गयी है। नगर निगम कार्यालय भवन निर्माण की प्रायोजना अन्तर्गत एकाॅस्टिकल वाल पैनेलिंग, सदन हाल एवं नगर निगम कार्यालय में फाॅल्स सीलिंग, सदन हाल में सेण्ट्रल एयर कण्डीश्निंग व पाॅलीकाॅर्बोनेट शीट आदि के प्रयोग से सम्बन्धित उच्च विशिष्टियां सम्मिलित हैं।

 

 

765 केवी जीआईएस उपकेन्द्र मेरठ व सम्बन्धित लाइनों तथा 400 केवी जीआईएस उपकेन्द्र सिम्भौली व सम्बन्धित लाइनों के टीबीसीबी पद्धति पर निर्माण सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूरी

 

मंत्रिपरिषद ने मेसर्स पावर ग्रिड काॅरपोरेशन आॅफ इण्डिया लि0 को 1159.09 मिलियन रुपए (115.909 करोड़ रुपए) के लेवेलाइज़्ड टैरिफ पर 765 के0वी0 जी0आई0एस0 उपकेन्द्र मेरठ व सम्बन्धित लाइनों तथा 400 के0वी0 जी0आई0एस0 उपकेन्द्र सिम्भौली व सम्बन्धित लाइनों के टैरिफ बेस्ड काॅम्पटेटिव बिडिंग के माध्यम से निर्माण हेतु सफल निविदादाता घोषित करने सम्बन्धी प्रस्ताव पर मंजूरी प्रदान कर दी है। 

765 के0वी0 जी0आई0एस0 उपकेन्द्र मेरठ व सम्बन्धित लाइनों तथा 400 के0वी0 जी0आई0एस0 उपकेन्द्र सिम्भौली व सम्बन्धित लाइनों सहित निर्माण कार्य शासनादेश संख्या-534/24-1-2019-450/2019 दिनांक 05 मार्च, 2019 के द्वारा टैरिफ बेस्ड काॅम्पटेटिव बिडिंग के माध्यम से अनुमोदित है।

शासनादेश संख्या-282/24-ऊ0नि0नि0प्र0/18-14(प्रकोष्ठ)/18 दिनांक 04 मई, 2018 के द्वारा गठित 'सलाहकार एवं बिड प्रोसेस कोआॅर्डिनेटर चयन समिति' द्वारा मेसर्स पी0एफ0सी0सी0एल0, नई दिल्ली को सलाहकार एवं बिड प्रोसेस कोआॅर्डिनेटर के रूप में चयनित किया गया। 'सलाहकार एवं बिड प्रोसेस कोआॅर्डिनेटर' के द्वारा भारत सरकार द्वारा प्रतिपादित दिशा-निर्देशों के अनुसार टैरिफ बेस्ड काॅम्पटेटिव बिडिंग की प्रक्रिया निष्पादित की गई।

निविदा के आर0एफ0क्यू0 चरण में 06 निविदादाताओं द्वारा प्रतिभाग किया गया, जिसमें से 05 निविदादाता अर्ह पाए गए। आर0एफ0पी0 चरण हेतु अर्ह 05 निविदादाताओं में से 04 निविदादाताओं द्वारा आर0एफ0पी0 प्रपत्र क्रय किए गए। मात्र 03 निविदादाता यथा मेसर्स पावर ग्रिड काॅरपोरेशन आॅफ इण्डिया लि0, मेसर्स अडानी ट्रांसमिशन लि0 तथा मेसर्स टोरेण्ट पावर लि0 द्वारा आर0एफ0पी0 प्रस्ताव प्रस्तुत किए गए, जिनके नाॅन-फाइनेन्शियल बिड दिनांक 30 सितम्बर, 2019 को खोले गए। इनीशियल प्राइस आॅफर के अनुसार मेसर्स पावर ग्रिड काॅरपोरेशन आॅफ इण्डिया लि0 का प्रस्ताव प्रथम न्यूनतम था। 

बिड एवेल्युएशन कमेटी द्वारा 23 सितम्बर, 2019 को सम्पन्न बैठक में प्रश्नगत परियोजना के टैरिफ बेस्ड काॅम्पटेटिव बिडिंग के माध्यम से निर्माण हेतु मेसर्स पावर ग्रिड काॅरपोरेशन आॅफ इण्डिया लि0 को 1159.09 मिलियन रुपए (115.909 करोड़ रुपए) के लेवेलाइज़्ड टैरिफ पर न्यूनतम निविदादाता घोषित करने का निर्णय लिया गया।

एम्पावर्ड कमेटी के रूप में प्रतिष्ठित एनर्जी टास्क फोर्स की 25 सितम्बर, 2019 को बैठक सम्पन्न हुई। इस बैठक में मेसर्स पावर ग्रिड काॅरपोरेशन आॅफ इण्डिया लि0 को 1159.09 मिलियन रुपए (115.909 करोड़ रुपए) के लेवेलाइज़्ड टैरिफ पर प्रश्नगत परियोजना के टैरिफ बेस्ट काॅम्पटेटिव बिडिंग के माध्यम से निर्माण हेतु सफल निविदादाता घोषित किया गया। 

 

765 केवी जीआईएस उपकेन्द्र रामपुर तथा 400 केवी जीआईएस उपकेन्द्र सम्भल के सम्बन्धित लाइनों सहित टीबीसीबी पद्धति पर निर्माण सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूरी

 

मंत्रिपरिषद ने मेसर्स पावर ग्रिड काॅरपोरेशन आॅफ इण्डिया लि0 को 1029.17 मिलियन रुपए (102.917 करोड़ रुपए) के लेवेलाइज़्ड टैरिफ पर 765 केवी जीआईएस उपकेन्द्र रामपुर तथा 400 के0वी0 जी0आई0एस0 उपकेन्द्र सम्भल के सम्बन्धित लाइनों सहित टैरिफ बेस्ड काॅम्पटेटिव बिडिंग के माध्यम से निर्माण हेतु सफल निविदादाता घोषित करने सम्बन्धी प्रस्ताव पर मंजूरी प्रदान कर दी है।

765 केवी जीआईएस उपकेन्द्र रामपुर व सम्बन्धित लाइनों तथा 400 के0वी0 जी0आई0एस0 उपकेन्द्र सम्भल व सम्बन्धित लाइनों सहित निर्माण कार्य शासनादेश संख्या-534/24-1-2019-450/2019 दिनांक 05 मार्च, 2019 के द्वारा टैरिफ बेस्ड काॅम्पटेटिव बिडिंग के माध्यम से अनुमोदित है।

शासनादेश संख्या-282/24-ऊ0नि0नि0प्र0/18-14(प्रकोष्ठ)/18 दिनांक 04 मई, 2018 के द्वारा गठित 'सलाहकार एवं बिड प्रोसेस कोआॅर्डिनेटर चयन समिति' द्वारा मेसर्स आर0ई0सी0टी0पी0सी0एल0, नई दिल्ली को सलाहकार एवं बिड प्रोसेस कोआॅर्डिनेटर के रूप में चयनित किया गया। 'सलाहकार एवं बिड प्रोसेस कोआॅर्डिनेटर' मेसर्स आर0ई0सी0टी0पी0सी0एल0 के द्वारा भारत सरकार द्वारा प्रतिपादित दिशा-निर्देशों के अनुसार टैरिफ बेस्ड काॅम्पटेटिव बिडिंग की प्रक्रिया निष्पादित की गई।

निविदा के आर0एफ0क्यू0 चरण में 06 निविदादाताओं द्वारा प्रतिभाग किया गया, जिसमें से 05 निविदादाता अर्ह पाए गए। आर0एफ0पी0 चरण हेतु अर्ह 05 निविदादाताओं में से 04 निविदादाताओं द्वारा आर0एफ0पी0 प्रपत्र क्रय किए गए। मात्र 02 निविदादाता यथा मेसर्स पावर ग्रिड काॅरपोरेशन आॅफ इण्डिया लि0 तथा मेसर्स टोरेण्ट पावर लि0 द्वारा आर0एफ0पी0 प्रस्ताव प्रस्तुत किए गए, जिनके नाॅन-फाइनेन्शियल बिड 02 सितम्बर, 2019 को खोले गए। 

अर्ह निविदादाताओं के इनीशियल प्राइस आॅफर दिनांक 11 सितम्बर, 2019 को नामित निदेशक (वाणिज्य एवं नियोजन), उ0प्र0पा0ट्रा0का0लि0; निदेशक (आॅपरेशन), उ0प्र0पा0ट्रा0का0लि0; निदेशक (कार्य एवं परियोजना),  उ0प्र0पा0ट्रा0का0लि0 एवं अधिशासी निदेशक (वित्त), उ0प्र0पा0ट्रा0का0लि0 के समक्ष खोले गए। इनीशियल प्राइस आॅफर के अनुसार मेसर्स पावर ग्रिड काॅरपोरेशन आॅफ इण्डिया लि0 का प्रस्ताव प्रथम न्यूनतम था। ई-रिवर्स आॅक्शन की समाप्ति पर मेसर्स पावर ग्रिड काॅरपोरेशन आॅफ इण्डिया लि0 को प्रथम न्यूनतम पाया गया।

बिड एवेल्युएशन कमेटी द्वारा 23 सितम्बर, 2019 को सम्पन्न बैठक में प्रश्नगत परियोजना के टैरिफ बेस्ड काॅम्पटेटिव बिडिंग के माध्यम से निर्माण हेतु मेसर्स पावर ग्रिड काॅरपोरेशन आॅफ इण्डिया लि0 को 1029.17 मिलियन रुपए (102.917 करोड़ रुपए) के लेवेलाइज़्ड टैरिफ पर न्यूनतम निविदादाता घोषित करने का निर्णय लिया गया।

एम्पावर्ड कमेटी के रूप में प्रतिष्ठित एनर्जी टास्क फोर्स की 25 सितम्बर, 2019 को बैठक सम्पन्न हुई। इस बैठक में मेसर्स पावर ग्रिड काॅरपोरेशन आॅफ इण्डिया लि0 को 1029.17 मिलियन रुपए (102.917 करोड़ रुपए) के लेवेलाइज़्ड टैरिफ पर प्रश्नगत परियोजना के टैरिफ बेस्ड काॅम्पटेटिव बिडिंग के माध्यम से निर्माण हेतु सफल निविदादाता घोषित किया गया। 

 

उप्र ई-स्टाम्पिंग नियमावली-2013 में संशोधन सम्बन्धी प्रस्ताव मंजूर

 

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश ई-स्टाम्पिंग नियमावली-2013 के नियम-13 में संशोधन का निर्णय लिया है। अब यह नियमावली 'उत्तर प्रदेश ई-स्टाम्पिंग नियमावली (प्रथम संशोधन-2019)' कही जाएगी। यह नियमावली गजट में प्रकाशित किये जाने के दिनांक से प्रवृत्त होगी। 

प्राधिकृत संग्रह केन्द्र की नियुक्ति के लिए पात्रता का मानदण्ड नियम-12 के अधीन नियुक्ति प्राधिकारी के पूर्व अनुमोदन के अध्यधीन भारतीय रिजर्व बैंक के नियंत्रणाधीन कोई अनुसूचित बैंक, कोई वित्तीय संस्था अथवा उपक्रम अथवा सरकार द्वारा नियंत्रित कोई वित्तीय संस्था अथवा उपक्रम अथवा डाकघर अथवा उत्तर प्रदेश स्टाम्प नियमावली-1942 के अधीन अनुज्ञप्ति धारक और स्टाम्प आयुक्त उत्तर प्रदेश द्वारा विहित शैक्षिक अर्हता धारक स्टाम्प विक्रेता, प्राधिकृत संग्रह केन्द्र के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र होंगे। इससे लाइसेन्स प्राप्त स्टाम्प विक्रेता प्राधिकृत संग्रह केन्द्र के रूप में स्थापित हो सकेंगे। प्रदेश में स्थापित ई-स्टाम्प प्रमाण पत्रों की व्यवस्था प्रदेश के सभी क्षेत्रों में व्यापक रूप से प्रचलित हो सकेगी।

 

 

राज्य सरकार तथा मैत्रेय परियोजना ट्रस्ट के मध्य निष्पादित एम0ओ0यू0 तथा लीज डीड निरस्त करते हुए इन्टीग्रेटेड बुद्ध सर्किट को विकसित करने के लिए प्रोजेक्ट/कार्ययोजना तैयार करने हेतु पर्यटन विभाग को निर्देशित किये जाने सम्बन्धी प्रस्ताव अनुमोदित

 

मंत्रिपरिषद ने राज्य सरकार तथा मैत्रेय परियोजना ट्रस्ट के मध्य निष्पादित एम0ओ0यू0 तथा लीज डीड निरस्त करते हुए इन्टीग्रेटेड बुद्ध सर्किट को विकसित करने के लिए प्रोजेक्ट/कार्ययोजना तैयार करने हेतु पर्यटन विभाग को निर्देशित किये जाने सम्बन्धी प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।

ज्ञातव्य है कि पर्यटन तथा संस्कृति के विकास व विस्तार के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना के रूप में मैत्रेय परियोजना, कुशीनगर वर्ष 2003 में प्रारम्भ की गई थी। इस परियोजना के अन्तर्गत कुशीनगर में महात्मा बुद्ध की विशालकाय प्रतिमा की स्थापना, एक धर्मार्थ चिकित्सालय, प्रारम्भिक शिक्षा से उच्च शिक्षा स्तर तक की शिक्षा के लिए एक धर्मार्थ शिक्षण संस्थान, विशाल ध्यान केन्द्र (मेडिटेशन पवेलियन), फव्वारों से सुसज्जित भव्य सुरुचिपूर्ण जलाशय, बच्चों के लिए पार्क, बौद्ध विहार व अतिथि गृह आदि का निर्माण प्रस्तावित था। इस परियोजना पर सम्पूर्ण व्ययभार मैत्रेय प्रोजेक्ट ट्रस्ट वहन करने के लिए सहमत थी। राज्य सरकार द्वारा मैत्रेय प्रोजेक्ट ट्रस्ट को निःशुल्क भूमि उपलब्ध करायी गयी है।

जिलाधिकारी, कुशीनगर की आख्या/संस्तुति दिनांक 04 नवम्बर, 2019 एवं निदेशक, संस्कृति उत्तर प्रदेश की आख्या/संस्तुति दिनांक 08 नवम्बर, 2019 के अनुसार मैत्रेय परियोजना ट्रस्ट द्वारा कई वर्ष व्यतीत हो जाने के उपरान्त भी एम0ओ0यू0, संशोधित एम0ओ0यू0 तथा लीज डीड के प्राविधानों के अनुसार कार्य नहीं किया जा रहा है, जबकि उन्हें पर्याप्त भूमि उपलब्ध करा दी गयी है। 

मैत्रेय परियोजना ट्रस्ट द्वारा एम0ओ0यू0 एवं लीज डीड के अनुसार अपेक्षित कार्य नहीं किया गया है। अतः राज्य सरकार तथा मैत्रेय परियोजना ट्रस्ट के मध्य निष्पादित एम0ओ0यू0 तथा लीज डीड निरस्त करते हुए इन्टीग्रेटेड बुद्ध सर्किट को विकसित करने के लिए प्रोजेक्ट/कार्ययोजना तैयार करने हेतु पर्यटन विभाग को निर्देशित किये जाने के प्रस्ताव को मंत्रिपरिषद द्वारा अनुमोदित किया गया। 

 

उप्र सरकारी सेवक (पदोन्नति द्वारा भर्ती के लिए मानदण्ड) (चतुर्थ संशोधन) नियमावली-2019 के प्रख्यापन को मंजूरी

 

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (पदोन्नति द्वारा भर्ती के लिए मानदण्ड) (चतुर्थ संशोधन) नियमावली-2019 के प्रख्यापन को मंजूरी प्रदान कर दी है। 

उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (पदोन्नति द्वारा भर्ती के लिए मानदण्ड) नियमावली-1994 मूल रूप में दिनांक 10 अक्टूबर, 1994 को प्रख्यापित की गई थी। 

दिनांक 23 फरवरी, 1996 को प्रश्नगत नियमावली में प्रथम संशोधन किया गया, जिसके अनुसार समस्त प्राविधान को यथावत रखते हुए अधिकतम वेतनमान की सीमा 5700 रुपए कर दी गई। तदोपरान्त प्रश्नगत नियमावली में दिनांक 10 जून, 1998 द्वारा द्वितीय संशोधन किया गया, जिसके अनुसार समस्त प्राविधान को यथावत रखते हुए अधिकतम वेतनमान की सीमा 18300 रुपए कर दी गई। 

दिनांक 12 अगस्त, 2010 को प्रश्नगत नियमावली में तृतीय संशोधन किया गया, जिसके अनुसार समस्त प्राविधान को यथावत रखते हुए अधिकतम ग्रेड-पे की सीमा 8700 रुपए कर दी गई। यह नियमावली वर्तमान में प्रभावी है। 

वेतन समिति (2016) की संस्तुतियां 01 जनवरी, 2016 से प्रभावी पुनरीक्षित वेतन संरचना में इस वेतनमान को पे-मैट्रिक्स लेवल-13 (1,23,100-2,15,900 रुपए) में रखा गया है। अतः इस नियमावली में उल्लिखित वाक्य 'वेतन बैण्ड-4 (37400-67000 रुपए) और ग्रेड वेतन 8700 रुपए या इससे अधिक' के स्थान पर पे-मैट्रिक्स लेवल-13 (1,23,100-2,15,900 रुपए) या इससे अधिक' को पे-मैट्रिक्स संरचना में प्रतिस्थापित किए जाने का प्रस्ताव है। अतः प्रश्नगत पुनरीक्षित वेतन पे-मैट्रिक्स को सम्बन्धित नियमावली में प्रतिस्थापित किए जाने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (पदोन्नति द्वारा भर्ती के लिए मानदण्ड) (चतुर्थ संशोधन) नियमावली, 2019 का प्रख्यापन किया जा रहा है।