हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सीजेएम द्वारा इस परिवाद में सुनवाई किया जाना परिवाद का संज्ञान लिया जाना है, जबकि धारा 197 सीआरपीसी में लोक सेवक के विरुद्ध बिना अभियोजन स्वीकृति के संज्ञान नहीं लिया जा सकता है, इसलिए इस मामले में बिना अभियोजन स्वीकृति के संज्ञान लिया जाना गलत था। कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश लोकायुक्त अधिनियम की धारा 17(1) में लोकायुक्त द्वारा सद्भावना से अपने कार्य के दौरान प्रस्तुत किये रिपोर्ट पर उनके खिलाफ कार्यवाही नहीं हो सकती है। इसके विपरीत कोर्ट ने श्री महरोत्रा के अधिवक्ता अनुपन महरोत्रा द्वारा नूतन के आदती मुकदमेबाज होने के आधार पर मुकदमा करने का अधिकार नहीं होने के दलील को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि मात्र इस आधार पर उनके वैधानिक अधिकार को समाप्त नहीं किया जा सकता है।
पूर्व लोकायुक्त एनके महरोत्रा के खिलाफ परिवाद खारिज