पूर्व लोकायुक्त एनके महरोत्रा के खिलाफ परिवाद खारिज  
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक्टिविस्ट डॉ. नूतन ठाकुर द्वारा पूर्व लोकायुक्त एन के महरोत्रा के खिलाफ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) लखनऊ के समक्ष दायर आपराधिक परिवाद को खारिज  कर दिया है। यह आदेश जस्टिस पंकज भाटिया की बेंच द्वारा पारित किया गया। नूतन के पति आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर के खिलाफ अगस्त 2015 में लोकायुक्त के समक्ष शिकायत की गयी थी, जिसमें तत्कालीन लोकायुक्त श्री महरोत्रा ने अमिताभ के खिलाफ कई संस्तुतियां की थीं। नूतन ने 03 सितम्बर 2015 को सीजेएम लखनऊ के सामने परिवाद दायर कर कहा था कि श्री महरोत्रा ने विधिविरुद्ध तरीके से उनके पति के खिलाफ जांच की थी और तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर जानबूझ कर फर्जी जांच रिपोर्ट तैयार की थी, जो एक आपराधिक कृत्य है। सीजेएम ने इस परिवाद पर सुनवाई प्रारंभ की, जिसे श्री महरोत्रा द्वारा हाई कोर्ट में चुनौती दी गयी।

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सीजेएम द्वारा इस परिवाद में सुनवाई किया जाना परिवाद का संज्ञान लिया जाना है, जबकि धारा 197 सीआरपीसी में लोक सेवक के विरुद्ध बिना अभियोजन स्वीकृति के संज्ञान नहीं लिया जा सकता है, इसलिए इस मामले में बिना अभियोजन स्वीकृति के संज्ञान लिया जाना गलत था। कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश लोकायुक्त अधिनियम की धारा 17(1) में लोकायुक्त द्वारा सद्भावना से अपने कार्य के दौरान प्रस्तुत किये रिपोर्ट पर उनके खिलाफ कार्यवाही नहीं हो सकती है। इसके विपरीत कोर्ट ने श्री महरोत्रा के अधिवक्ता अनुपन महरोत्रा द्वारा नूतन के आदती मुकदमेबाज होने के आधार पर मुकदमा करने का अधिकार नहीं होने के दलील को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि मात्र इस आधार पर उनके वैधानिक अधिकार को समाप्त नहीं किया जा सकता है।