रेस में पसीना बहा रहे हैं मुख्य सचिव के अन्य दावेदार अफसर 

नए वर्ष से पूर्व यूपी को नियमित मुख्य सचिव मिलने की संभावना है। 


एपीसी के कार्य प्रभावित हो रहे हैं


कार्यवाहक मुख्य सचिव नियमित होने के लिए हाथ-पांव मार रहे हैं


मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी नियमित मुख्य सचिव बनने के चक्कर में एपीसी कार्यालय में जाना भूल गए हैं


लखनऊ। 31 अगस्त 2019 को मुख्य सचिव के पद से डा. अनूप चंद्र पाण्डेय का रिटायरमेंट हो गया था। काम चलाऊ व्यवस्था के तहत सरकार ने कृषि उत्पादन आयुक्त (एपीसी) राजेन्द्र कुमार तिवारी को कार्यवाहक मुख्य सचिव की जिम्मेदारी दी थी। लगभग तीन महीने बीते को हैं, लेकिन अभी तक नियमित मुख्य सचिव की नियुक्ति न हो पाने से नौकरशाही में अधर में है। इन तीन माह के अंदर कई दावेदार अफसर अपने-अपने स्तर पर मुख्य सचिव बनने के लिए काफी प्रयास किए। लेकिन सफल नहीं हो पाए। कुछ अभी भी रेस में बरकरार हैं, कुछ बाहर हो गए हैं। 1985 बैच के आईएएस राजेन्द्र कुमार तिवारी, दीपक त्रिवेदी, शालिनी प्रसाद, मोहम्मद इफ्तेखारूद्दीन, गुरदीप सिह और अनीता भटनागर जैन हैं। अनीता भटनागर जैन नवम्बर माह में रिटायर हो रही हैं। इस बैच में मात्र दो आईएएस अफसर राजेन्द्र कुमार तिवारी और दीपक त्रिवेदी हैं। 1986 बैच में आलोक टण्डन, आलोक सिन्हा, मुकुल सिघल, कुमार कमलेश हैं। इनमें से आलोक टण्डन, आलोक सिन्हा और मुकुल सिघल मुख्य सचिव के लिए चर्चा में हैं। वर्ष 1987 बैच में अरूण सिघल, अवनीश कुमार अवस्थी, महेश गुप्ता, लीना नंदन, रेणुका कुमार, देवाशीष पाण्डा, संजीव मित्तल, रमा रमण, हेमंत राव, सुनील कुमार, जीवेश नंदन हैं। इस बैच में मात्र दो ही अफसर अवनीश कुमार अवस्थी और रेणुका कुमार ही मुख्य सचिव पद के दावेदारों में हैं। आधी छोड़ पूरी को धावे, आधी मिले न पूरी पावेु यह कहावत यूपी की नौकरशाही पर सटीक साबित हो रही है। कार्यवाहक मुख्य सचिव नियमित होने के लिए हाथ-पांव मार रहे हैं तो मुख्य सचिव के अन्य दावेदार अफसर रेस में पसीना बहा रहे हैं। इससे जहां इन दावेदार अफसरों की मूल पद पर तैनाती के कार्य प्रभावित हो रहे हैं वहीं मुख्य सचिव पद पर नियमित तैनाती न होने से यूपी की नौकरशाही में अनिश्चितता का माहौल कायम है।
शासन के सूत्रों का कहना है कि कार्यवाहक मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी नियमित मुख्य सचिव बनने के चक्कर में एपीसी कार्यालय में जाना भूल गए हैं। एपीसी कार्यालय का काम मुख्य सचिव कक्ष से निपटाते हैं। इस वजह से एपीसी के कार्य प्रभावित हो रहे हैं। तमाम प्रयासों के बावजूद राजेन्द्र कुमार तिवारी नियमित मुख्य सचिव न बनने से दोनों पदों के साथ न्याय नहीं कर पा रहे हैं। शासन में चर्चा है कि सरकार के करीबी एक अफसर को मुख्य सचिव बनाने के लिए दिसम्बर बीतने का इंतजार किया जा रहा है। दिसम्बर के बाद मुख्य सचिव पद की नियमित तैनाती किए जाने के संकेत हैं। मुख्य सचिव पद के लिए एक अन्य अहम दावेदार बिजली विभाग में हुए पीएफ घोटाले के बाद से दावेदारी खतरे में पड़ गई है। सत्ता के गलियारे में यह चर्चा है कि औद्योगिक विकास आयुक्त आलोक टण्डन को मुख्य सचिव बनाया जा सकता है। इस वजह से केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए सरकार ने मुक्त नहीं किया है। केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात दुर्गा शंकर मिश्र की दावेदारी अभी भी बनी हुई है।
कई आईएएस अफसरों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कार्यवाहक मुख्य सचिव की कार्यशैली नियमित मुख्य सचिव बनने में अड़े आ रही है। निर्णय लेने के बजाए हर फाइल पर वार्ता के राग से कार्य प्रभावित हो रहे हैं। तीन माह में अपनी टीम भी नहीं बना पाए हैं। जिससे बेहतर परिणाम सामने आ सके। शुरूआत में कुछ अफसरों ने टीम का हिस्सा बनने का प्रयास किया था, लेकिन कार्यवाहक मुख्य सचिव की कार्यप्रणाली रास न आने से बैक फुट पर चले गए। संभावना है कि नए वर्ष से पूर्व यूपी को नियमित मुख्य सचिव मिलने की संभावना है।