सभी कार्मिकों और उनके परिवारों के साथ सरकार खड़ी है: श्रीकांत शर्मा
पॉवर सेक्टर इम्पलॉईस ट्रस्ट की 2631 करोड़ रुपये की धनराशि डीएचएफएल में नियमों के विरुद्ध लगाने पर बिजली कर्मचारियों के गुरुवार को परिजनों के साथ प्रदर्शन के बीच ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार सभी विकल्पों पर काम कर रही है। सभी कार्मिकों और उनके परिवारों के साथ सरकार खड़ी है। उन्होंने कहा कि 2014 में सपा सरकार द्वारा रचे गए षड्यंत्र के तहत गैरकानूनी तरीके से भविष्य निधि का पैसा दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल)में लगाने में संलिप्त सभी निवर्तमान-वर्तमान लोगों पर सरकार सख्त कार्रवाई कर रही है। ईओडब्ल्यू जांच चल रही है। 

ऊर्जा मंत्री ने कहा कि उनके अनुरोध पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले की जांच के लिए सीबीआई को भी संस्तुति की है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) कार्मिक दिन रात प्रदेश की जनता की सहूलियत के लिए परिश्रम कर रहे हैं उनकी गाढ़ी कमाई की पाई-पाई मिले इसके लिये उत्तर प्रदेश सरकार सभी विकल्पों पर काम कर रही है। सभी कार्मिकों और उनके परिवारों के साथ सरकार खड़ी है। 

इससे पहले आज विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों के आह्वान पर दसवें दिन बड़ी संख्या में बिजली अधिकारियों व कर्मचारियों ने अपने परिवार के साथ सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया। भविष्य निधि की धनराशि भुगतान की गारण्टी के लिए विद्युतकर्मियों ने सरकार को 18 नवम्बर तक निर्णय करने का अल्टीमेटम दिया है। उन्होंने सरकार को भविष्य निधि की धनराशि भुगतान संबंधी अधिसूचना जारी नहीं होने पर बेमियादी हड़ताल पर चले जाने की चेतावनी दी है। 

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि प्रमुख सचिव एवं पावर कॉर्पोरेशन के चेयरमैन अरविंद कुमार से बातचीत हुई, जिसमें एक सूत्रीय मांग भुगतान की जिम्मेदारी लेते हुए सरकार अधिसूचना जारी करे पर सहमति नहीं बन सकी। चेयरमैन ने आश्वस्त किया है कि वह शासन स्तर पर बात करके जानकारी देंगे। 

समिति ने निर्णय किया है कि यदि बिजलीकर्मियों के भविष्य निधि की धनराशि के भुगतान की गारण्टी लेने की मांग पूरी नहीं की गई तो प्रदेश के  बिजली कर्मचारी एवं अभियंता 18 व 19 नवम्बर को 48 घण्टे का कार्य बहिष्कार करेंगे। 

समिति की ओर से प्रदेश सरकार को चेतावनी देते हुए कहा गया कि यदि शान्तिपूर्ण आन्दोलन के कारण किसी भी कर्मचारी का उत्पीड़न किया गया तो सभी ऊर्जा निगमों के तमाम अधिकारी व कर्मचारी बिना कोई नोटिस दिए सीधे कार्य छोड़ने पर बाध्य होंगे, जिसकी सारी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार एवं प्रबन्धन की होगी।