लखनऊ,। तीन तलाक और हलाला पर रोक लगी और क़ानून बना, जबकि महिला पर्सनल लॉ बोर्ड ने कई बार सरकार को कानून में संशोधन के लिए अनुरोध में लिखा था, परन्तु क़ानून बनाना ज़रूरी था। अब हमें अपने भी प्रयासों से समाजिक और मानसिक रूप से लोगों के बीच, जागरूक्ता बढ़ाने की ज़रूरत है। परिवार, पति-पत्नी अपने अपने कर्तव्य अधिकार को एक दूसरे के लिए अपनाएं। संयम त्याग बहुत ज़रूरी है। अपने बेटों और बेटियों को अच्छे संस्कार दें और अनुशासन में खुद रहें। तभी परिवार का माहौल भी वैसा ही होगा। ये बातें रविवार को आल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की महिलाओं और पुरुष सलाहकार, पदाधिकारियों की परिचर्चा में उभर कर सामने आईं। आल इण्डिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अम्बर ने कहा कि महिलाएं अपने ख़ाली समय में गै़र ज़रूरी काम में वक़्त न बर्बाद करें। सोशल नेटवर्किंग में भी जौ उनकी मालूमात और बेहतर तालीम मिले उसमें अपना वक़्त लगाए क़ुरान पाक को तरजुमें भावार्थ से पढ़े। तफ़हीमुल क़ुरान पाक,तशरीहुल क़ुरान पाक,चाहे एक ही पेज पढ़ें। आपको मालूम होना ज़रूरी है कि अल्लाह पाक आपसे क़ुरान के माध्यम से क्या शिक्षा दे रहा है। सभी पढ़े समझें, उसको आधा अधूरा पढ़ेंगे तो गुमराह होंगे। उन्होंने कहा कि धीरे धीरे रूक-रूक कर पढ़े समझें भ्रम भटकाव नहीं होगा। उन्होंने कहा कि आज कल कालोनियों में या बड़े बड़े अपार्टमेंट बना दिये गए हैं, ज़मीने कम हो गई हैं, आबादी बढ़ गई है, बहुत दूर नमाज़ पढ़ने जाना पड़ता हैं।