उद्यमियों को  सुविधाएं मुहैया कराने में तकनीकी शिक्षण संस्थायें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है:डा. नवनीत सहगल
 ओडीओपी कार्यक्रम को जमीनी स्तर पर उपयोगी बनाने में सहयोग करने वाले शिक्षण संस्थानांे  को वित्तीय सहायता उपलब्ध करायी जायेगी-प्रमुख सचिव 

लखनऊ।  प्रमुख सचिव, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम डा. नवनीत सहगल ने कहा कि एक जिला-एक उत्पाद (ओडीओपी) कार्यक्रम को उद्यमियों में लोकप्रिय बनाने तथा उत्पादन इकाईयों को सस्ती एवं बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने में तकनीकी शिक्षण संस्थायें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। इसके लिए इन संस्थाओं को प्रशिक्षित मानव संसाधन तथा कुशल तकनीकी विशेषज्ञ तैयार करने के लिए अपने पाठ्यक्रमों में बदलाव तथा शैक्षिक गतिविधियों में ओडीओपी कार्यक्रम को लागू करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ओडीओपी के इस कार्य को शिक्षण संस्थाएं अल्पकालिक, मध्यकालिक तथा दीर्घकालिक लक्षित रणनीति बनाकर कर सकती हैं, जो शिक्षण संस्थाएं ओडीओपी कार्यक्रम को जमीनी स्तर पर उपयोगी बनाने में मदद करेंगी, उन्हें राज्य सरकार वित्तीय सहायता भी उपलब्ध करायेगी। 

डा0 सहगल आज निर्यात प्रोत्साहन भवन में ओडीओपी के संबंध में स्टेट एकेडमि इंस्टीट्यूशन के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर रहे थे। उन्होंने कहा कि तकनीकी शिक्षण संस्थाएं अपने विद्यार्थियों को ओडीओपी के मामले में इंटरनशिप से जोड़ सकती हैं और ओडीओपी के उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने के साथ ही मार्केंटिंग तथा ब्रांडिंग में भी सहयोग प्रदान कर सकती हैं। इसके अतिरिक्त जो विद्यार्थी अपने प्रोजेक्ट अथवा शोध पत्र में ओडीओपी को शामिल करते हैं, उनको ओडीओपी की अन्य समस्याओं के समाधान के लिए शैक्षिक गतिविधियों में जोड़ा जा सकता है। इसके साथ ही संस्थानों में ओडीओपी पीठ भी स्थापित की जा सकती है, जो ओडीओपीउत्पाद से संबंधित किसी भी जानकारी के लिए एक सूत्रीय बिन्दु साबित हो सकती हैं। इसी प्रकार इच्छुक संस्थाएं ओडीओपीके क्षेत्र में सेंटर आफ एक्सीलेंस भी सृजित कर सकती हैं।

बैठक में आईआईटी बीएचयू से आए प्रतिनिधि ने ओडीओपी प्रोडक्ट की ब्रांडिंग के बारे में अवगत कराया । इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट (आईआरआरआई) के प्रतिनिधि ने भी एक प्रस्तुतीकरण दिया। जिसमें सिद्धार्थनगर के ओडीओपीउत्पाद कालानमक चावल को बढ़ावा देने संबंधि कई महत्वपूर्ण बिन्दु शामिल थे है। बैठक में आईआईटी कानुपर, मोतीलाल नेहरू नेशनल इन्स्टीट्यूट आफ टेक्नालाॅजी प्रयागराज, नेशनल इन्स्टीट्यूट आफ फैशन टेक्नालाॅजी रायबरेली, इण्डियन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नालाॅजी वाराणसी, इण्डियन इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट नोएडा सहित विभिन्न संस्थानों के प्रतिनिधि मौजूद थे। 

प्रतीत हो रहा है कि अधिकतर दुर्घटनाओं में युवा वर्ग ज्यादा प्रभावित हो रहा है।