यह कस्बा गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल है



एक दूसरे के मजहब के एहितराम से ही सौहार्द होता है


आरती और अजान देती है आवाज-अब तुम्हारी बारी


बोले लोग ये खुशबू जहां तक बिखरे


यहां के लोग मिलजुल कर रहते हैं यह एक मिसाल है


यह कस्बा गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल है









 गोंडा। अवध के नवाब आसिफुद्दौला के बसाये वजीरगंज कस्बे में मंदिर-मस्जिद दोनों सौहार्द की खुशबू बिखेरते हैं। यहां मंदिरों में आरती के वक्त अजान रोक दी जाती है तो अजान के समय आरती। दोनों समुदायों के लोगों में ऐसा अनोखा तालमेल शायद ही कहीं और देखने को मिले। खास बात यह है कि कस्बे में अधिकतर मंदिर-मस्जिद आसपास ही है। इलाका कोई भी हो, दोनों जगहों पर सौहार्द और सहयोग के साथ अपने-अपने 'ईष्ट' की इबादत व पूजा होती है।  जो सामने आया वह सौहार्द के सिवा कुछ नहीं था। यहां मस्जिदों से उठने वाली अजान मंदिरों को आरती और भजन के लिए खुद बुलाती है कि अब तुम्हारी बारी है। अधिकतर धर्मस्थलों की दीवारें तक एक-दूसरे से सटी हुई हैं। लेकिन दोनों धर्मों के लोगों को एक दूसरे से कोई दिक्कत नहीं है। अजान होने पर दूसरे संप्रदाय के लोग नमाज का एहितराम करते हैं, भजन-कीर्तन के समय भी ऐसा ही होता है। सभी धर्मों के लोग एक दूसरे के धार्मिक कार्यक्रमों में शिद्दत के साथ शिरकत करते हैं।























वजीरगंज थाने से सटी मस्जिद व मंदिर के बीच केवल थाने की बाउंड्री की दूरी है। नगवा में मंदिर के सामने भी मस्जिद सांप्रदायिक सौहार्द की पहचान है। कोंडर में मदरसा और शिव मंदिर के बीच केवल दो मीटर चौड़ी सड़क का फासला है। रौजा में ख्यतिलब्ध गाजी-ए-पाक की दरगाह व राम सेवक जायसवाल के घर के बगल मंदिर भी एक दूसरे के पड़ोसी हैं। इसके अलावा करौंदा में मंदिर व मस्जिद की दीवारें एक हैं। इन सभी धार्मिक स्थलों में समय पर धार्मिक अनुष्ठान होते हैं।


 मौलाना ताहिर अली कहते हैं कि भाईचारा सबसे पहले है, जिस तरह से यहां के लोग मिलजुल कर रहते हैं यह एक मिसाल है। उन्होंने कहा कि एक दूसरे के मजहब के एहितराम से ही सौहार्द होता है। दुर्गा मंदिर के पुजारी पंडित माहेश्वरी मिश्रा कहते हैं कि हम लोग एक साथ नहीं रहेगें तो समाज प्रभावित होगा। उन्होंने बताया कि दुर्गा पूजा पर मुस्लिम भाई बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हैं। कस्बे के अन्नू गोस्वामी, शुभम गुप्ता, सुशील भारती, हरीश गोस्वामी, राजेश बाबा, मुस्लिम समुदाय के दद्दन खां, एजाज हुसैन, मेराज, मोहम्मद अमीन, इम्तियाज भी एकता पर जोर देते हैं। कहते हैं हमारा कस्बा गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल है।