...जानिए पत्रकार बनने का आसान तरीका 

त्रिनाथ के.शर्मा 


मौजूदा दौर में पत्रकारिता में मूर्खों का चलन बढ़ा है  गया है


अब पत्रकारिता में ईमानदारी और योग्यता व विद्बवता के कोई मायने नहीं रह गए हैं


लखनऊ। राजधानी लखनऊ में बीते पांच वर्षों के अंदर अवांछित तत्वों ने पत्रकारिता में प्रवेश के लिए कई शार्टकट फामूला अपना रहे हैं। जिनकी वजह से लगभग 500 से अधिक अवांछित तत्वों ने पत्रकारिता का चोला ओढ़ लिया है। इस बढ़ते चलन पर वरिष्ठ पत्रकार महेन्द्र शुक्ला ने कहा कि सिर्फ पत्रकारिता की एक ऐसा क्षेत्र हैं जहां न तो शैक्षिक योग्यता और न ही अनुभव निर्धारित है। इस वजह से हर क्षेत्र में çफ़ेल होने वालों का पत्रकारिता में जबरदस्त आकर्षण है। सरकार के सामने यह बड़ी दिक्कत है कि अगर कोई योग्यता निर्धारित करने का प्रयास करते हैं तो मान्यता समिति मीडिया पर अंकुश लगाने के आरोप लगते हैं। हमारी इन खामियों की वजह से जहां पत्रकारिता की साख गिर रही है और वहीं मीडिया में अराजक तत्वों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। जिसकी वजह से पत्रकारिता का स्तर गिरता जा रहा है। अब वह पत्रकारिता नहीं रही है जो दो दशक पूर्व की थी, अब पत्रकारिता मात्र लक्जरी बनती जा रही है। 


अगर आप पढ़े-लिखे नहीं यानी अंगूठा टेक हैं। अगर आप में सरकारी और गैरसरकारी नौकरी पाने की योग्यता नहीं है। अगर आप सफल ठेकेदार नहीं बन पाए हैं। अगर आप नेता-नगरी में सफल नहीं हो पाए हैं, तो आप पत्रकारिता में कदम रखिए। किसी स्थापित पत्रकार का दोस्त बनिये, सेवा-चाकरी करिए। सौ फीसदी सफल से कोई नहीं रोक सकता है। चाहे छोटा अफसर हो या फिर बड़ा, या फिर मंत्री-मुख्यमंत्री सभी पर पत्रकार होने का रौब गांठ सकते हैं। साथ ही अपने धंधे भी चमका सकते हैं। नियमों की धज्जियां उड़ा कर राजधानी में सैकड़ों ऐसे तथाकथित पत्रकार हैं, जिन्होंने स्थापित पत्रकार की संगत करने के साथ ही कागजी कार्यवाही पूरा करके राज्य मुख्यालय की मान्यता प्राप्त कर ली है।
 पत्रकारिता में अवांछित तत्वों को बढ़ावा देने में कुछ वरिष्ठ पत्रकारों और पत्रकार संगठनों के पदाधिकारियों का अहम भूमिका रही है। अपने चहेते, अपनी गुलामी करने वाले गुर्गों और सेवा सत्कार करने वालेवरिष्ठ पत्रकारों  ने चौथे स्तम्भ की खामियों को बड़े शानदार ढंग से व्याख्या करके सोशल मीडिया पर डाला है। कैसे अवांछित तत्व पत्रकारिता में सेंधमारी कर रहे हैं। पत्रकार बनने के लिए बस ये तिकड़म अजमाना होगा। अगर आप ने 1०-11 स्थापित नियमों का पालन कर लिया तो आपको पत्रकार बनने से कोई भी नहीं रोक सकता है।
 पहले किसी स्थापित पत्रकार से मित्रता कीजिए। नाते-रिश्तेदारों को मान्यता प्राप्त पत्रकार बनवा दिया है। जबकि इन मान्यता प्राप्त पत्रकारों के पत्रकारिता के अतिरिक्त धंधे हैं। राज्य मुख्यालय की मान्यता प्राप्त सूची और उनकी प्रोफाइल पर नजर डालें तो पता चलता है कि पत्रकार हैं या फिर धंधेबाज। इस पर अंकुश लगाई जानी चाहिए।सरकार को इस पर जल्द कदम उठाने की जरूरत है।
 यह सही है मौजूदा दौर में पत्रकारिता में मूर्खों का चलन बढ़ गया है। अब पत्रकारिता में ईमानदारी और योग्यता व विद्बवता के कोई मायने नहीं रह गए हैं। इसकी एक वजह यह है कि अधिकतर अखबारों और चैनलों का मैनेजमेंट ऐसे हरफनमौलाओं को तरजीह देता है तो संस्थान के लिए आर्थिक लाभ पहुंचाएं। इस वजह से पत्रकारिता में ऐसे लोग हॉवी हो गए हैं।
पत्रकार कहते हैं कि अब तथाकथित पत्रकार अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए नए-नए प्रयोग करते रहते हैं। इस समय सेल्फी गैंग, गुलदस्ता गैंग, केक गैंग, भण्डारा गैंग काफी सक्रिय है। इनकी नस-नस में पत्रकारिता के बजाए अपना धंधे-पानी के लिए हर तरह के अनैतिक कार्य करते हैं। 
अगर आप ने इन 1०-11 स्थापित नियमों का पालन कर लिया तो आपको पत्रकार बनने से कोई भी नहीं रोक सकता है
1.उसको गाड़ी आदि की सुविधा उपलब्ध कराईए। 
2. कभी-कभार उसके साथ शादी-विवाह समारोह में जाइए। 
3.समारोहों में उनके साथ खड़े होकर नेताओं-अधिकारियों के साथ फोटो खिचवायें। 
4.फोटो को सोशल मीडिया पर खूब प्रचार-प्रसार करें। 
5.पत्रकार मित्र के मित्रों से व्यवहार बढ़ायें और उनको फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजिए। 
6.वरिष्ठर्ि पत्रकारों को होटलों में दवात के साथ शराब आदि की व्यवस्था करवाते रहिए। 
7.पत्रकारों के व्हाटस अप गु्रप में प्रवेश पाइए और ज्ञान बघारिये। 
8.व्हाटसअप ग्रुप में किसी के निधन और जन्मदिन पर संदेश लिखना शुरू कर दीजिए। 
9.बगैर आमंत्रण के वरिष्ठर्ि पत्रकारों के झुंड में सचिवालय-एनेक्सी और मंत्रियों-अफसरों की प्रेसवार्ता में आना-जाना शुरू कीजिए। 
10.अपने दोपहिया और चौपहिया वाहनों पर बड़ा सा प्रेस अथवा पत्रकार लिखवाइए। 
 11.अब आप पत्रकार बन चुके हैं। अपने çफ़ेसबुक पर नाम के आगे वरिष्ठ पत्रकार लिखना शुरू कर दीजिए। बस हो गए पत्रकार! मजाल है अब कोई आपको कोई रोक सके। न कोई मेहनत न कोई डिग्रीं। एक बार आजमा कर तो देखिए पक्का है लाभ मिलेगा।