देशी और विदेशी निवेशकों को लुभाने के लिए योगी सरकार भगीरथी प्रयास कर रही है 
तीन मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में सबसे ज्यादा निवेश सृजन में पहले नम्बर पर  योगी 

 

बीते तीन माह से सूबे में हुए औद्योगिक निवेश और रोजगार सृजन के आंकड़ें गोपनीय तौर से तैयार कर रहा था

 


 

निवेश और रोजगार सृजन में नबंर एक के पायदान पर योगी


उद्योग निदेशालय ने तैयार करवाया 15 साल के औद्योगिक विकास के आंकड़े

 

योगी आदित्यनाथ बाजी मार गए

 

 

लखनऊ। यूपी की औद्योगिक विकास की गाथा के 15 साल के उद्योग निदेशालय  द्वारा तैयार करवाए गए आंकड़ों पर नजर डालने से पता चलता है कि सूबे के तीन मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में सबसे ज्यादा निवेश सृजन में पहले नम्बर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दूसरे पर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व तीसरे नम्बर पर पूर्व मुख्यमंत्री मायावती रही हैं। यही स्थिति नई-नई नीतियों को बनाने में रही। इसमें भी योगी आदित्यनाथ बाजी मार गए हैं।

उल्लेखनीय है कि सूक्ष्य, लघु और मध्यम विभाग के प्रमुख सचिव के निर्देश पर उद्योग निदेशालय कानपुर ने बीते 15 सालों में प्रदेश में औद्योगिक वातावरण सृजन एवं निवेश के आंकड़ों को गोपनीय तौर पर तैयार करवाया है। उद्योग निदेशालय कानपुर के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2005-06 में मुलायम सिंह यादव की सरकार के कार्यकाल में सूबे में 30652 उद्योग थे। उस समय 4701.7700 करोड़ का निवेश के प्रस्ताव प्राप्त हुए थे। इन प्रस्तावों पर वास्तविक रूप से 3742.7600 करोड़ का निवेश हुआ था। जबकि प्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष तौर पर 198889 लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ है। मायावती सरकार के 2007 के कार्यकाल में प्रदेश में उद्योगों की संख्या 32837 थी। उस वर्ष 4321.7700 करोड़ रुपए के प्रस्ताव प्राप्त हुए थे। इन प्रस्तावों पर वास्तविक रूप से 4918.2600 करोड़ रुपए का निवेश हुआ था। इस वर्ष प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर 207720 लोगों को रोजगार प्राप्त हुए थे।

 वित्त वर्ष 2012 तक उद्योगों की संख्या में बढ़ोत्तरी होकर 36129 हो गई थी। निवेश प्रस्तावों की संख्या बढ़कर 28587.0900 करोड़ रुपए हो गई। इन प्रस्तावों पर वास्तविक रूप से   25052.4200 करोड़ रुपए का निवेश हुआ था। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर 274779 लोगों को रोजगार प्राप्त हुए। वर्ष 2012 में सूबे में अखिलेश यादव सरकार बनने के समय 31474 उद्योग थे। उस वर्ष 7367.100 करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव मिले। इसी वर्ष जहां 6659.5500 करोड़ का वास्तविक निवेश हुआ वहीं 268096 लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिला। वित्त वर्ष 2016-17 तक औद्योगिक इकाइयों की संख्या में जबरदस्त उछाल आया। औद्योगिक इकाइयों की संख्या 327175 पर पहुंच गई। प्रस्तावित निवेश का आंकड़ा 15382.1721 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। इसके सापेक्ष वास्तविक निवेश 22813.3861 करोड़ रुपए हुआ। जबकि 1626522 लोगों को प्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिला।  मार्च 2017 में प्रदेश में योगी सरकार बनने के समय 115785 औद्योगिक इकाइयां थी। उस समय प्रस्तावित निवेश का आंकडा 8107.5720 करोड़ रुपए था। जबकि वास्तविक निवेश का आंकड़ा 14627.9198 करोड़ रुपए हुआ था। 706775 लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिला। वित्त वर्ष  2019-20 के जनवरी 2020 तक के आंकड़ों के मुताबिक 126321 औद्योगिक इंकाइयां विद्यमान हैं। प्रस्तावित निवेश 9412.9800 करोड़ रुपए हुआ। जबकि वास्तविक निवेश 16691. 1800 करोड़ का निवेश हो चुका है। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर 814063 लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ है।

उद्योग निदेशालय के सूत्रों का कहना है कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम विभाग के प्रमुख सचिव की पहल के बाद उद्योग निदेशालय हरकत में आया। बीते तीन माह से सूबे में हुए औद्योगिक निवेश और रोजगार सृजन के आंकड़ें गोपनीय तौर से तैयार कर रहा था।  इन आंकड़ों से यह बात साफ हो गई है कि सूबे की योगी आदित्यनाथ सरकार निवेश कराने और रोजगार सृजन में सबसे आगे है। देशी और विदेशी निवेशकों को लुभाने के लिए योगी सरकार भगीरथी प्रयास कर रही है। इसी का नतीजा है कि योगी आदित्यनाथ का मुख्यमंत्री के तौर पर मात्र तीन साल के कार्यकाल में भारी-भरकम निवेश आया। इस साल के अंत तक ग्लोबल इंवेस्टर्स समिटि का आयोजन करने की तैयारी है जबकि अभी योगी सरकार का दो साल का कार्यकाल बाकी है। इसके साथ ही आंकड़ों साफ संकेत दे रहे हैं कि अखिलेश यादव के अंतिम कार्यकाल के वित्त वर्ष में खूब निवेश हुआ। अब इसकी संख्या में गिरावट आ रही है। इन आंकड़ों के संबंध में औद्योगिक एवं अवस्थापना आयुक्त आलोक टण्डन और प्रमुख सचिव आलोक कुमार तथा सूक्ष्म, लघु और मध्यम विभाग के प्रमुख सचिव नवनीत सहगल से सम्पर्क किए जाने पर प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई।