योगी आदित्यनाथ की छवि एक कुशल और कड़क शासक के रूप में उभरी है
उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री हेल्पलाइन नम्बर पीडि़तों के लिए संजीवनी बन गई है
सीएम हेल्पलाइन पर अब तक निपटीं 103870 शिकायतें
योगी बना रहे सख्त शासक की पहचान
तीन साल का रिपोर्ट कार्ड लेकर आज हाजिर होंगे योगी आदित्यनाथ
तीन साल पूरा करने वाले योगी भाजपा के पहले मुख्यमंत्री
लखनऊ। यह पहला मौका जब प्रदेश में किसी मुख्यमंत्री ने पुलिस को दंगाइयों उवद्रवियों से निपटने की खुली छूट दे रखी है। वर्ना याद कीजिए इसी उत्तर प्रदेश में तत्कालीन अखिलेश यादव की सरकार में यही दंगाई उपद्रवी राजधानी की खुली सड़कों पर खुले असलहे लहराते हुए पुराने लखनऊ से हजरतगंज तक आ गये थे और पुलिस मूकदर्शक बनी हुयी थी। पुलिस को उप्रदवियों और दंगाइयों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई करने की छूट नहीं थी। तुष्टॢीकरण की राजनीति के चलते पूर्ववर्ती सपा सरकारों में ऐसे दंगाइयों उप्रदवियों को खूबपाला पोसा गया। यही नहीं दंगाइयों आतंकियों पर लगे मुकदमें वापस लेने तक की कार्रवाई हुयी और आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गयी।
सीएए विरोध के बाद लाकडाउन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ जिस तरह प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपना सख्त रूख अख्तियार किया है उसके बाद से प्रदेश की आम आवाम के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि एक कुशल और कड़क शासक के रूप में उभरी है। यह पहला मौका है जब प्रदेश में दंगाइयों, उपद्रवियों और कानून तोडने वालो के खिलाफ सरकार उनको उन्हीं की भाषा में जवाब दे रही है। दंगाई उप्रदवी किसी भी मजहब का हो पुलिस सबके साथ एक जैसा बर्ताव कर रही है।
हालांकि तत्कालीन मायावती सरकार ने ऐसे तत्वों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर कभी नरमी नहीं दिखाई। ऐसे लोगों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई में उन्होंने कभी हस्तक्षेप नहीं किया। लेकिन सपा सरकारों मेे मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव हो या फिर अखिलेश यादव दोनो ही सरकारों में एक वर्ग विशेष के उप्रदवियों और दंगाइयों को कुछ भी करने की खुली छूट थी। तत्कालीन मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल में राजधानी के नदवा में लखनऊ की हसनगंज पुलिस ने रेड डाल दी थी तो मुख्यमंत्री रहते मुलायम सिंह यादव ने न सिर्फ क्षेत्रााधिकारी सहित पूरा थाना संस्पेंड किया किया बल्कि उस समय वहां के प्रमुख से माफी भी मांगी थी। यह पहला मौका जब प्रदेश की पुलिस को कार्रवाई के नाम पर मस्जिदों मदरसों में घुसकर उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई करने की खुली छूट है। योगी आदित्यनाथ से पहले यूपी भाजपा के तीन मुख्यमंत्री हुए लेकिन उनमें उपद्रवियों और दंगाइयों के खिलाफ ऐसी कड़ी कार्रवाई करने की इच्छाशक्ति किसी ने नहीं दिखाई।
भाजपा के मुख्यमंत्रियों मे कल्याण सिंह को दो बार और राजनाथ सिंह को एक बार मुख्यमंत्री रहने का मौका मिला लेकिन इनमें कल्याण सिंह ही ऐसे थे जिन्हे कड़क शासक के रूप में जाना जाता था लेकिन वे भी इस तरह की कोई कार्रवाई नहीं कर सके जो नजीर बनती। राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री रहते हुए अपनी उदारवादी छवि बनाए रखना चाहते थे इसलिए वे किसी भी कार्रवाई करने का साहस नहीं दिखा पाए। इन दोनों मुख्यमंत्रियों से फिर बेहतर बसपा की मायावती रही। जिन्होंने पुलिस कार्रवाई में किसी तरह के हस्तक्षेप न करने के साथ पुलिस और प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के खिलाफ जो कार्रवाई की। वैसा साहस आज तक कोई दूसरा मुख्यमंत्री नहीं दिखा पाया। मायावती ने मुख्यमंत्री रहते हुए प्रमुख सचिवों सहित मुख्यसचिव व पुलिस महानिदेशक स्तर तक के एक अधिकारी को संस्पेड कर दिया था।
हालांकि मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उप्रदवियों और दंगाइयों के साथ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई कर रहे है बीते तीन साल में सात सौ से ज्यादा निकम्मे अधिकारियों कर्मचारियों के खिलाफ जबरन रिटायर या बर्खास्त किए जाने की कार्रवाई की गयी। प्रदेश में यह पहला मौका है जब उपद्रवियों और दंगाइयों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के साथ ही सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने की भरपाई भी उन्हीं लोगों से की जा रही है। यही नहीं उपद्रवियों और दंगाइयों की फोटो भी शहर की प्रमुख सड़को पर होॢडग्स के रूप मे लगवाकर लोगों के बीच उन्हे चिन्हित कराया जा रहा है। यूपी हाईकोर्ट ने भले दंगाइयों उपद्रवियों के फोटो सार्वजनिक स्थान पर लगाए जाने का स्वत: संज्ञान लिया हो लेकिन पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने कानून व्यवस्था के नाम पर उत्तर प्रदेश की बेहतर कानून व्यवस्था का विशेष उल्लेख किया है। तुष्टीकरण की राजनीति करने वाले दलों और नेताओं के बारे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संदेश साफ है कि उनकी सरकार में न्याय सबको लेकिन तुष्टॢीकरण किसी का नहीं होगा। यह बात वे विधानसभा में कई बार दोहरा चुके है। वे साफ कह चुके है कि यदि उपद्रवी तलवार और असलहे लेकर सड़कों पर खुला घूमेंगे तो उनकी सरकार आरती उतारने के लिए नहीं बैठी है। ऐसे तत्वो के खिलाफ उनकों उन्हीं की भाषा में समझा जाएगा।
उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री हेल्पलाइन नम्बर पीडि़तों के लिए संजीवनी बन गई है। इससे अब तक 01 लाख, तीन हजार, आठ सौ सत्तर शिकायतों का निस्तारण किया जा चुका है। यह हेल्पलाइन सिर्फ जरूरतमंदों की मदद ही नहीं कर रही है, बल्कि संदिग्धों की पहचान, उनकी काउंसिङ्क्षलग और चिकित्सकीय सुविधा भी मुहैया करा रही है। दरअसल सीएम हेल्पलाइन पर ऐसी शिकायतों के निस्तारण के लिए अलग से कोविड डैशबोर्ड बनाया गया है। इस पर सिर्फ लॉकडाउन से होने वाली समस्याओं को ही सुना जा रहा है।
सरकार बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने उनके वायदे का मान रखा और पहली बैटक में ही इसकी घोषणा कर दी। हालांकि केंद्र सरकार ने इस मामले में किसी भी मदद से इंकार कर दिया था। अपने सीमित संसाधनों में ही करीब दाे करोड़ छोटे और सीमांत किसानों के एक लाख तक के कर्जे माफ कर दिये। इसमें सरकार के खजाने पर 36 हजार 369 करोड़ का बोझ पड़ा। मुख्यमंत्री के सामने 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करना भी बड़ी चुनौती थी क्योंकि यह सरकार के खजाने पर बड़ा बोझ डालने वाला था। सरकार के राजस्व पर इस मामले में 24 हजार करोड़ का बोढ पड़ गया। सपा के शासनकाल में कानून व्यवस्था बड़ी चुनौती थी और सरकार को इससे निपटना था।
सरकार बनते ही एंटी रोमियो स्कवायड का गठन किया गया और देखते ही देखते कुछ ही दिनों में लड़कियों के स्कूल और कालेज के सामने से शोहदों की भीड़ कम होने लगी। पुलिस ने पूरे राज्य में दो लाख से अधिक जगहों पर जांच की और 3500 केस दर्ज किये। सरकार ने जमीन माफियाओं के खिलाफ गैंगेस्टर कानून की तरह कार्रवाई की और उन पर नकेल कस दी। कानून व्यवस्था में सुधार के लिये 43 नये थाने बनाये गये और 80 हजार से ज्यादा पुलिसकर्मी की भर्ती की। पिछली सरकारों ने पीएसी की 54 कंपनियों को भंग कर दिया था जिसकी बहाली योगी आदित्यनाथ ने की। बच्चियों के खिलाफ बढ़तेे अपराध को देखते हुये 74 विशेष पाक्सो अदालतों के अलावा 144 नियमित अदालतों का गठन किया गया। योगी आदित्यनाथ गाय के प्रेमी हैं। गोरखपुर में गोरक्षपीठ मंदिर में 500 से ज्यादा गाये हैं। गोवंश की सुरक्षा और उनके संरक्षण के लिये केंद्र सरकार की मदद से 4900 से ज्यादा आश्रय स्थल बनाये गये। मुख्यमंत्री अक्सर आश्रय स्थलों का दौरा करते हैं।
शिक्षा में सुधार के लिये 15 नये मेडिकल कालेज खोले गये और 13 और नये मेडिकज कालेज खोलने की अनुमति दी गई। इसके अलावा 45 नये कालेज भी खोले गये। राज्य में अगले दो साल में कुल 45 मेडिकल कालेज खोलने की योजना है। रायबरेली में एम्स भी खुल गया है। हालांकि इसके लिये जमीन पिछली समाजवादी पार्टी की सरकार की ओर से ही दी गई थी। मुख्यमंत्री ने सरकारी कर्मचारियों काे अनुशासन का पाठ भी पढ़ाया। समय से कार्यालय आना अनिवार्य कर दिया गया। सरकारी कार्यालय में पान और पान मसाला पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई। इसके अलावा कार्यालय में प्लास्टिक पर भी पूरी तरह रोक लगी। श्री आदित्यनाथ ने अधिकारियों में देर रात तक काम करने की आदत डाली।मुख्यमंत्री ने भारतीय संस्कृति को जिंदा रखते हुये फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया। हालांकि फैजाबाद में छोटा धार्मिक शहर अयोध्या है लेकिन योगी आदित्यनाथ ने पूरे जिले का ही नाम अयोध्या कर दिया। इलाहाबाद का नाम प्रयागराज तो मुगलसराय स्टेशन का नाम दीन दयाल उपाध्याय नगर किया गया। गोरखपुर एयरपोर्ट का नाम गोरक्षनाथ तो आगरा एयरपोर्ट का नाम दीनदयाल उपाध्याय किया गया।
पिछले साल 2019 में हुये कुंभ का आयोजन योगी आदित्यनाथ की मुख्य उपलब्धियों में शुमार है। कुंभ का इतना और भव्य आयोजन पहले कभी नहीं हुुआ था और न ऐसी साफ सफाई कभी देखी गई थी। कुंभ के दौरान 24 करोड़ से ज्यादा लोगों ने संगम में स्नान किया था जो अब तक का रिकार्ड है। ऐसा संभवत: पहली बार हुआ कि कुंभ के दौरान कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। मुख्यमंत्री ने बंद चीनी मिलों को खुलवाया तो खुले चीनी मिल की पेराई क्षमता भी बढ़ाई। गन्ना किसानों के 89 हजार करोड़ के बकाये का भुगतान चीनी मिलों से कराया गया। योगी आदित्यनाथ पूर्वांचल एक्सप्रेस वे को अगले साल मार्च तक पूरा करने का वायदा करते हैं। इसके अलावा बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे पर भी इसी साल काम शुरू हो जायेगा। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ पिछले 19 और 20 दिसम्बर को हुई हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ ने सरकार को हतप्रभ कर दिया था। इस हिंसा में 21 लोग मारे गये और 250 से ज्यादा लोग घायल हुये जिसमें 70 से ज्यादा पुलिस वाले थे। लेकिन सरकार ने समय रहते इसे रोक दिया और सीसीटीवी कैमरे से मिले सुराग से उनकी पहचान कर उपद्रवियों तस्वीर नाम पते के साथ होर्डिंग्स लगवा दी। इस मामले में पूरे राज्य में 100 से ज्यादा मुकदमें दर्ज किये गये। कई लोगों से वसूली भी की गई। होर्डिंग्स मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने खुद संज्ञान लिया और सरकार से पूछा कि किस कानून के तहत इनके नाम पते जाहिर किये गये। उच्च न्यायालय ने इसे निजता का हनन बताया। सरकार अपने बचाव और आगे काम करने में कोई कानूनी अड़चन नहीं आये इसलिये उत्तर प्रदेश सरकार रिकवरी और प्राइवेट एंड पब्लिक प्रापर्टी अध्यादेश ले आयी।
योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के चौथे मुख्यमंत्री भले ही हों लेकिन अपनी सरकार के कार्यकाल का तीन साल पूूरा करने वाले वो पहले मुख्यमंत्री बन गये हैं।इससे पहले कल्याण सिंह,राम प्रकाश गुप्ता और राजनाथ सिंह भाजपा के मुख्यमंत्री बने लेकिन किसी ने भी तीन साल पूरा नहीं किया। साल 1991 के विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत के बाद कल्याण सिंह 24 जून 1991 को राज्य के मुख्यमंत्री बने लेकिन 6 दिसम्बर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा गिराये जाने के बाद केंद्र में पीवी नरसिंहराव की सरकार ने उत्तर प्रदेश की सरकार को बर्खास्त कर दिया था ।
साल 1997 के विधानसभा चुनाव में किसी को बहुमत नहीं मिला । भाजपा ने बहुजन समाज पार्टी के साथ मिलकर छह छह महीने की शर्त पर सरकार बनाई । बसपा की मायावती ने अपने छह महीने का कार्यकाल पूरा कर लिया लेकिन एक महीने के अंदर ही सरकार से समर्थन वापस ले लिया। इसके बाद शुरू हुआ था राजनीतिक दलों में तोड़फोड़ का सिलसिला । भाजपा ने कांग्रेस और बसपा के 20 -20 विधायको तोड़ कर सरकार बचाई । अपनी मूल पार्टी से अलग हुये सभी विधायकों को मंत्री बनाया गया । उत्तर प्रदेश में मंत्रियों की संख्या 100 हो गई थी । उस वक्त मंत्रियों की संख्या 15 प्रतिशत से ज्यादा नहीं रखने का कानून नहीं था। मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ही बने और सितम्बर 1997 से 11 जून 1999 तक मुख्यमंत्री रहे। भाजपा से बगावत करने के कारण उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाया गया । प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई उन्हें केंद्र में मंत्री बनाना चाहते थे लेकिन कल्याण सिंह ने मना कर दिया और अलग पार्टी बना ली । उनके हटने के बाद राम प्रकाश गुप्त को 12 जून 1999 को मुख्यमंत्री बनाया गया लेकिन अक्तूबर 2000 में उन्हें हटा कर राजनाथ सिंह को मुख्यमंत्री बनाया गया । उनका कार्यकाल 2002 मार्च तक रहा। योगी आदित्यनाथ 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद 19 मार्च को मुख्यमंत्री बनाये गये और उनका कार्यकाल चल रहा है ।