कोविड-19 (कोरोना वायरस) के प्रकोप के दृष्टिगत ग्राम पंचायतो के लिए आवश्यक निर्देश जारी

कोविड-19 के संकट से बचाव एवं प्रभावी नियंत्रण के लिए ग्राम पंचायते अपना सहयोग करे: प्रमुख सचिव पंचायतीराज


बचाव के कार्य केन्द्र व राज्य सरकार के द्वारा निर्धारित गाईड लाईन व निर्देशों के अन्तर्गत होना चाहिए


पंचायत राज नियमावली के अनुसार ग्राम प्रधानों को संक्रामक रोगों को नियंत्रित तथा निवारित करने की विशेष शक्ति प्रदान की गई है

लखनऊ । प्रदेश में ग्रामीण कामगारों के बडे पैमाने पर शहरों से वापसी से कोरोना के संकट को लेकर गांवों में विशेष जागरूकता व सावधानी की आवश्यकता है। इस महामारी से बचाव का सबसे कारगर तरीका ‘‘समाजिक दूरी’’ के रूप में सर्वमान्य हुआ है। यह वर्तमान ग्रामीण परिवेश व संरचना के अनुकूल नही है इसके लिए विशेष जागरूकता व सावधानी की आवश्यकता है।
प्रमुख सचिव पंचायतीराज मनोज कुमार सिंह द्वारा इस सम्बन्ध में 03 अप्रैल, 2020 को कोविड-19 (कोरोना वायरस) के प्रकोप के दृष्टिगत ग्राम पंचायतो के लिए आवश्यक शासनादेश जारी किया गया है। जारी निर्देश में कहा गया है कि कोविड-19 के इस संकट के दृष्टिगत ग्राम पंचायत की भूमिका व दायित्व और अधिक बढ जाती है। केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा बडे पैमाने पर इसके बचाव व नियंत्रण का कार्य किया जा रहा है परन्तु इसकेा और प्रभावी बनाने के लिए ग्राम पंचायते उसमें अपना सहयोग करे तथा आगे बढकर अपने स्तर पर भी वहाॅं की परिस्थिति व आवश्यकता के अनुरूप जागरूकता व बचाव का कार्य करें। बचाव के कार्य केन्द्र व राज्य सरकार के द्वारा निर्धारित गाईड लाईन व निर्देशों के अन्तर्गत होना चाहिए। पंचायत राज नियमावली के अनुसार ग्राम प्रधानों को संक्रामक रोगों को नियंत्रित तथा निवारित करने की विशेष शक्ति प्रदान की गई है। इसके अन्तर्गत वह नियत प्राधिकारी के निर्देशों के अधीन रहते हुए इस रोग के नियं़त्रण व निवारण के लिए जो आवश्यक हो वह कार्य कर सकता है। ग्राम पंचायत अपने कार्य व दायित्व के समुचित निर्वहन हेतु ग्रामीण स्वयंसेवी बल का गठन कर सकती है और इसके लिए ग्राम कोष से व्यय भी कर सकती है। गांव के स्तर पर इस महामारी से निपटने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत की भी है।
जारी निर्देश के अनुसार ग्राम पंचायतों द्वारा पंचायतों के संगठनात्मक ढांचे को सक्रिय व प्रभावी बनाना है इसके अन्तर्गत ग्राम पंचायत के वार्ड सदस्यों तथा उसकी स्वास्थ्य एव कल्याण समितियों को सक्रिय करना प्राथमिक जरूरत है। अगर किसी कारणवश इस समिति को सक्रिय कर पाना सम्भव न हो तो ऐसी स्थिति में अलग से महामारी बचाव व समन्वयन समिति का गठन किया जाना चाहिए। उत्तर प्रदेश पंचायत राज नियमावली के अनुसार विशेष परिस्थितियों में पंचायत को अलग से कार्यकारी समिति बनाने का प्रावधान है, प्राथमिकता पर ग्राम प्रधान स्वयं अपनी अध्यक्षता में अथवा किसी अन्य सक्रिय सदस्य के नेतृत्व में इसे गठित करें। ग्राम पंचायत व ग्राम सभा के उपयुक्त व सक्रिय सदस्यों को इसमें शामिल किया जाये, इसमें पंचायत स्तर पर कार्यरत स्वास्थ्य, शिक्षा व ग्रामीण विकास विभाग के कार्यकर्ताओं व कर्मचारियों को भी जोडा जाना चाहिए। यदि ग्राम पंचायत के क्षेत्र में कई पुरवे व गांव शामिल है तो आवश्यकतानुसार इसकी उप समितियां बनाई जा सकती है।
महामारी बचाव व समन्वय समिति के द्वारा ग्राम स्तर पर इस बीमारी के बचाव एवं रोकथाम के लिए जागरूक करना एवं जानकारी देने का काम किया जायेगा। शासन के आदेश एवं निर्देश की जानकारी लोगों के बीच प्रसारित करना, आवश्यक पाबन्दी, सामुदायिक सेवाओं के उपयोग हेतु की जाने वाली व्यवस्था, अन्य राज्यों से लौटकर आये लोगों की व्यवस्था, आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता, तथा व्यक्तिगत स्वच्छता, किचन की स्वच्छता सहित आदि के बारे में जानकारी दी जायेगी। प्रमुख सचिव पंचायतीराज ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों, मुख्य विकास अधिकारियों एवं जिला पंचायतराज अधिकारियों को इन निर्देशो का अनुपालन सुनिश्चित कराये जाने के निर्देश दिये गये है।