मोदी सरकार जो कहेगी हम उसके विरोध में ही चलेंगे: विरोधी वर्ग

जो  मोदी सरकार कहेगी हम उसके विरोध में ही चलेंगे?:मोदी विरोधी वर्ग


आज पूरा विश्व कोरोना जैसी बीमारी से लड़ रहा है


अमेरिका, इटली में 24 घंटे के अंदर सैकड़ों लोगों की मौतें हो रही हैं


अमेरिका, इटली में 24 घंटे के अंदर सैकड़ों लोगों की मौतें हो रही हैं


उसी पर जब सरकार ने बहुत कुछ गवाने के बाद शिकंजा कसा तो उसके सुर बदल गए


देश के मंदिर बंद है, देश की कई मस्जिद से बंद है, मक्का और मदीना भी बंद है


आज देश में चारों तरफ आए हुए कई विदेशी तमाम मस्जिदों से पकड़े जा रहे हैं


 

लखनऊ। बेशर्मी के साथ डॉक्टरों पर थूकने वाले एवं नर्सों के सामने निर्वस्त्र होकर अश्लील इशारे करने  व इन पर पत्थर चलाने वाले तत्व  सभ्य समाज के दायरे में नहीं आते। इनके घृणित अपराध को देखते हुए इन पर कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए। वह भी ऐसी जो समाज के लिए उदाहरण बन जाए! जाहिलियत एवं कट्टरता की बेशर्मी में डूबे यह विनाशकारी यह नहीं समझते कि बीमारी न ङ्क्षहदू देखती है और न मुसलमान। वह आती है और फिर इंसान की जान को लेकर चली जाती है। फिलहाल मरकज से मरघट की ओर चले रास्ते में अब तक 500 से ज्यादा जमाती कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। भले ही अब लोगों को मौत का संसाधन बांटने वाले मौलाना साद के सुर बदल गए हो।

जो देश की मोदी सरकार कहेगी हम उसके विरोध में ही चलेंगे? काम अच्छा हो या बुरा हो हमारा इस से मतलब नहीं है! मोदी सरकार जो फायदा देगी हम उसे लाइन में लगकर सबसे पहले लेंगे लेकिन हम मोदी सरकार जो कहेगी उसके विरोध में ही रहेंगे? कुछ ऐसी ही कुत्सित व गंदी सोच हो गई है देश के एक बड़े मोदी विरोधी वर्ग की?

 आज पूरा विश्व कोरोना जैसी बीमारी से लड़ रहा है। अमेरिका, इटली में 24 घंटे के अंदर सैकड़ों लोगों की मौतें हो रही हैं। स्वयं भारत देश में भी यह मौत का आंकड़ा 53 की संख्या के आगे जाने को बेताब है और तथाकथित साद जैसे मौलाना अपने कट्टर राग को बिखेर कर देश में बीमारी बांट रहे हैं।

 देश के मंदिर बंद है। देश की कई मस्जिद से बंद है। मक्का और मदीना भी बंद है। ऐसे में यह कौन से धर्म को मानने वाले अनुयाई हैं जो स्वयं अपने ही धर्म में बताए गए इंसानियत के धर्म को नहीं मानते। मरकज में रहकर जिन तत्वों ने मरघट का रास्ता अख्तियार किया उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। मरकज के लोग कह रहे हैं कि लॉक डाउन के अचानक  आने के चलते हम साधन नहीं पकड़ पाए। हमें सरकार ने मौका नहीं दिया। यह पूरी तरीके से स$फेद झूठ है। 13 मार्च को ही गृह मंत्रालय के मुताबिक बाहरी लोगों के वीजे को रद्द कर दिया गया था! दिल्ली पुलिस का वीडियो  सा$फ  दिखा रहा है कि पुलिस आयोजकों से मरकज में  कोई भी जलसा करने से मना कर रही है ।इतना सब कुछ होने के बावजूद भी कहा गया कि मरकज के अंदर मात्र 1000 लोग हैं।जांच में  उसमें दो हजार से ज्यादा लोग निकले।

मरकज का अगुआ मौलाना साद  तकरीर देता है कि मस्जिद में जाने से किसी को रोका नहीं जा सकता। आप मस्जिद में आइए। बीमारी कुछ नहीं कर सकती। और फिर यदि हमारी मौत मस्जिद में हो तो इससे बेहतर क्या है?  यह कौन से कबीला युग की बातें सुना रहा था मौलाना? उसी मौलाना साद पर जब सरकार ने बहुत कुछ गवाने के बाद शिकंजा कसा तो उसके सुर बदल गए। अब वही मौलाना साहब सभी को घर में रहने की ऑडियो जारी करके नसीहत दे रहा है।

इंदौर में जब  कट्टरता के शांति दूतों की बस्ती में सेवा करने वाले कलयुग के भगवान डॉक्टर इलाज के लिए पहुंचते हैं तब वहंा पर  डॉक्टरो पर पत्थरबाजी की जाती है। उनकी हत्या करने की प्रयास किया जाता है? उन्हें दौड़ाया जाता है। मैसूर में डॉक्टरों की गाड़ी तोड़ दी जाती है! मरकज के लोग जिन्हें इलाज के लिए ले जाया जाता है वह पुलिस व डाक्टरों पर थूकते हैं? नर्सों के सामने निर्वस्त्र होकर घूमते हैं उन्हें अश्लील इशारे करते हैं। यही नहीं कुछ दिमागी रूप से खाली लोग यह कहने में भी नहीं चूकते कि कोरोना मुसलमानों के खिलाफ साजिश है? ङ्क्षहदू मुसलमान की राजनीति की जा रही है। ऐसे घृणित मानसिकता वाले लोगों को तो खुलेआम ऐसा दंड देना चाहिए कि जो कि समाज के लिए उदाहरण बन जाए।

जरा यह बताएं कि मोदी सरकार व अन्य सभी प्रांतों की राज्य सरकारें  आम लोगों के लिए जो भी कर रही थी इमानदारी से कर रही थी। फिर इसमें धर्म पहले आया कहा से? लेकिन यहां अल्पसंख्यकों की ओर से जब कोई गलती होती है तो इसका नेतृत्व ऐसे लोगों के हाथों में चला जाता है जिनकी सोच में केवल मोदी सरकार का विरोध ही रहता है? दुनिया मरे, चाहे जिए उससे कोई  इनका मतलब नहीं रहता है।

आज देश में चारों तरफ आए हुए कई विदेशी तमाम मस्जिदों से पकड़े जा रहे हैं। केवल इसलिए कि ऐसे लोगों का चिकित्सीय परीक्षण हो एवं उनके जीवन की रक्षा की जा सके।  तकरीबन 500 से ज्यादा ऐसे लोग हैं उनका पता नहीं चल पा रहा है? क्योंकि आने वाले कई लोगों ने अपने पते नाम गलत लिखा रखे थे। क्या करना चाहते हैं कुछ लोग? देश  की सरकार की सामने दूसरी सरकार खड़ी करना चाहते हैं? शर्म आती है ऐसे लोगों पर कि केवल किसी व्यक्ति के विरोध के विरोध के लिए नीचता की हदों को पार कर जाना यह भनदनीय हैं! इस पर अब देश में रोक लगनी चाहिए। कोरोना महामारी से जब लोग मरेंगे तो ना यह महामारी ङ्क्षहदू देखेगी ना मुसलमान देखेगी। न यह पंडित जी को देखेगी न हीं यह दलित जी को देखेगी। बीमारी काल बनकर आएगी और जान लेकर जाएगी।

अब बात कर लेते हैं कुछ कथित ऐसी सोच के पैरोकार कलम कारों की। सही मायने में देखा जाए ऐसे ही कथित कलमकार इस सोच के सबसे बड़े पालनहार हैं। जबकि सच यह भी है कि यह कथित कलमकार पूरे समाज के सबसे बड़े दुश्मन भी है? कुछ लोग इसमें सरकार की कमियां गिनाते है। मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि जब लोग घर में बीमार होते हैं और डॉक्टरों के पास जाते है तो डॉक्टर उनका इलाज करता है ना कि यह कहता है कि आपने ठंडा पानी ज्यादा पिया इसलिए आपको जुखाम हो गया? यह आपने फला किया तो आप को कैंसर हो गया?  सरकार अपना काम कर रही है। उसका समर्थन करना सभी का काम है और जो कलमकार सरकार के विरोध में जाहिलियत को ताकत प्रदान करते हैं वास्तव में वह देश के सबसे बड़े दुश्मन हैं। मेरा स्पष्ट मानना है कि देश में विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता है लेकिन देश संकट में हो उस समय देश पर मौत की तोहमत लगाने की गंदी सोच यह आगे दिखाई दे तो इसे शक्ति के साथ कुचलना भी सरकार का काम होना चाहिए! ना तो देश के लिए कट्टर ङ्क्षहदू फायदेमंद है और ना ही देश के लिए कट्टर मुसलमान। कट्टरता देश को आगे नहीं ले जाती है पीछे खींचती है। सरकार का कोई भी प्रयास बस कुछ भाड़े के टट्टू की वजह से भहदू मुसलमान में तब्दील हो जाता है ।

मोदी सरकार कितना भी इमानदारी से कोई काम करें। कुछ सौदाई इसमें कहदू-मुसलमान का रंग डाल ही देश है। इधर देखा जा रहा है कि कुछ  मौलाना अपने फायदे के लिए मोदी सरकार के हर काम में मीन मेख निकालकर इसे जब मुसलमानों के विरुद्ध बताते हैं, उनके खिलाफ साजिश बताते हैं तो शर्म आती है। कुल मिलाकर सरकार को भी समझना चाहिए कि कहावत है कि लातों के भूत बातों से नहीं मानते!  इसलिए सरकार को भी अब देश को ध्यान में रखकर पूरी शक्ति के साथ आगे बढऩा होगा। अन्यथा मौलाना साद जैसे तत्वों के संरक्षण में मस्जिदों से  कोरोना बम निकलते रहेंगे और देश को मौत बांटते रहेंगे?