जून का पहला हफ्ता तय करेगा कोरोना की तस्वीर
गंभीर मरीज संभल कर रहे
लक्षण मिले तो आईसोलेशन में रहें
मास्क जरूर लगाएं
लखनऊ एसोसिएशन ऑफ पैथोलॉजिस्ट एंड माइक्रोबायोलॉजिस्ट के सचिव डॉ. मृदुल मेहरोत्रा के मुताबिक कोरोना आरएनए वॉयरस है। यह वायरस बहरुपिया है। 80 प्रतिशत मरीजों में कोरोना के लक्षण नजर नहीं आते हैं। ऐसे मरीजों को चिकित्सा विज्ञान में एसिम्टोमैटिक कहते हैं। यह लोग गंभीर मरीजों के लिए घातक साबित हो सकते हैं। 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग व 10 वर्ष से कम आयु के बच्चों की जान भी संकट में डाल सकते हैं। गुर्दा, डायबिटीज, दिल, कैंसर समेत दूसरी गंभीर बीमारी से पीड़ितों की जान भी आफत में पड़ सकती है।
डॉ. मुदृल मेहरोत्रा के मुताबिक पांच से 14 दिन में वायरस शरीर में पनपते हैं। लक्षण भले ही नजर में न आए लेकिन दूसरों को संक्रमित करने की पूरी ताकत होती है। इन लोगों से फैलने वाले संक्रमण का दूसरा चरण 14 से 28 दिन के भीतर रहता है। यदि हम तीन मई से कोरोना वायरस के प्रसार की रफ्तार का आंकलन करें तो जून के पहले हफ्ते में काफी हद तक स्थिति साफ हो सकती है। यदि सर्दी-जुकाम व बुखार है तो घर में खुद को आईसोलेट कर लें। इससे संक्रमण का प्रसार थमेगा। मर्ज खुद-ब-खुद ठीक होगा।
पैथोलॉजी एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. पीके गुप्ता के मुताबिक ग्रीन जोन के नियमों का पालन करें। सोशल डिस्टैंसिंग का खयाल रखें। मास्क लगाकर ही निकलें। यदि मास्क नहीं है तो रूमाल व गमछा से भी मुंह और नाक को अच्छी तरह ढककर निकलें। बाहर निकले तो सैनेटाइजर से समय-समय पर सुविधानुसार हाथों की सफाई करें। घर में साबुन से भी हाथ धुलकर वायरस को उल्टी पांव लौटा सकते हैं।