बीमा कम्पनियों के मकडज़ाल में गरीब किसान

बीमा कम्पनियों के मकडज़ाल में गरीब किसान


कृषि विभाग के आला अफसर आंखे मंूद रखे हुए हैं


यूपी में छह बीमा कम्पनी 75 जिलों में सेवाएं प्रदान कर रही हैं


किसानों का खून चूस रही हैं बीमा कम्पनियां


प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के आंकड़े खोल रहे हैं पोल

 

खरीफ और रबी फसल के लिए बीमित किसानों को ऊंट के मुंह में जीरा जैसा लाभ हो रहा हैं

 

किसानों को फसल बीमा का क्लेम के लिए मारे-मारे घूमना पड़ता है

 

अफसरों को बीमा कम्पनियां भारी-भरकम सुविधा शुल्क भी देती हैं

 

लखनऊ।   प्रधानमंत्री फसल योजना के तहत फसल की बुवाई न कर पाना, असफल बुवाई, फसल की मध्य व्यवस्था में क्षति, खड़ी फसलों को प्राकृतिक आपदाओं, रोगों, कीटों से क्षति, फसल की कटाई के उपरांत आगामी 14 दिन की अवधि तक खेत में सुखाई के लिए रखी हुई फसल को चक्रवात, बेमौसम बारिश से नुकसान की जोखिम को कवर का प्रावधान हैं। इसके साथ ही फसली ऋण लेने वाले लेने वाले किसान अनिवार्य तौर पर और गैर ऋणी किसान स्वैच्छिक तौर पर कवर हैं। इन योजनाओं में शामिल होने के लिए किसानों के पास खरीफ के लिए हर वर्ष की 31 जुलाई और रवी के लिए 31 दिसम्बर तिथि निर्धारित है। प्रकृति आपदा से फसल नष्टï होने की दशा में बीमित किसान को 72 घंटे के अंदर बीमा कम्पनी और बैंक को सूचना देना अनिवार्य है।

 फसल बीमा के नाम पर जहां सूबे के किसानों के हाथ में सिर्फ और सिर्फ राहत का झुनझुना हाथ लगा है वहीं बीमा कम्पनियां अपने 'मैनेंजमेंट  के बल पर ज्यादा से ज्यादा प्रीमियम खा कर तेजी से मालामाल हो रही हैं। इस सारे गड़बड़-झाले की पोल प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के आंकड़े कर रहे हैं। इस मुद्दे पर कृषि निदेशक से लेकर शासन के आला अफसर तक कन्नी काट रहे हैं।


 

यूपी के 75 जिलों में छह बीमा कम्पनियां एस.बी.आई जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, न्यू इंडिया इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस कम्पनी, रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, टाटा ए.आई.जी. जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, बजाज एलान्याज जनरल इंश्योरेंस कम्पनी,प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत अपनी सेवाएं प्रदान कर रही हैं। एस.बी.आई जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड सहारनपुर, आगरा, बिजनौर, संभल, औरैया, कानपुर नगर, फतेहपुर, प्रतापगढ़, बांदा, वाराणसी, अमेठी के किसानों का बीमा करने के लिए ठेका दिया गया है। न्यू इंडिया इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड को मुज्जफरनगर, बागपत, गौतम बुद्घ नगर, हापुड़, फिरोजाबाद, कौशाम्बी, झांसी, चित्रकूट, संत कबीर नगर, बाराबंकी गोंडा और श्रावस्ती के किसानों के बीमा की जिम्मेदारी दी गई है। यूनीवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस कम्पनी को शामली, हाथरस, एटा, कासगंज, बदायूं, फरूखाबाद, हमीरपुर, ललितपुर, जौनपुर, मऊ, रायबरेली, सीतापुर के किसानों को बीमा का ठेका प्रदान किया गया है। रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड को बुलंदशहर, अलीगढ़, कन्नौज, चंदौली, मिर्जापुर, सोनभद्र, गोरखपुर, बस्ती, उन्नाव, फैजाबाद, अम्बेडकर नगर, बलरामपुर, बहराइच के किसानों को बीमा का काम सौंपा गया है। टाटा ए.आई.जी. जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड को गाजियाबाद, मथुरा, शाहजहांपुर, मुरादाबाद, अमरोहा, रामपुर, इटावा, कानपुर देहात, इलाहाबाद, आजमगढ़, महराजगंज, हरदोई किसानों का बीमा कर रही है। बजाज एलान्याज जनरल इंश्योरेंस कम्पनी को मेरठ, मैनपुरी, बरेली, पीलीभीत, जालौन, महोबा, भदोही, कुशीनगर, सिद्घार्थ नगर, लखनऊ और सुल्तानपुर के किसानों का बीमा कर रही है।


 

कृषि विभागों के आंकड़ों पर नजर डालने से साफ पता चलता है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत प्रदेश खरीफ और रबी फसल के लिए बीमित किसानों को ऊंट के मुंह में जीरा जैसा लाभ हो रहा हैं। प्रधानमंत्री फसल योजना के चार साल के आंकड़े यही बयां कर रहे हैं। 2016-17 में प्रदेश के 72. 82 लाख किसानों का खरीफ और रवी की फसलों के लिए बीमा किया गया। कृषक, केन्द्रांश और राज्यांश से बीमा कम्पनियों को प्रीमियम के तौर पर 31885.64 करोड़ रुपए मिले। जबकि 72. 82 बीमित किसानों में से मात्र 11.81 बीमित किसानों को 56,90,2.85 करोड़ रुपए ही क्षतिपूर्ति के तौर पर मिले। यही हाल बाकी तीन वर्षों का है।  पूर्व कृषि निदेशक विनय प्रकाश श्रीवास्तव का कहना है कि बीमा कम्पनियों ने क्षतिपूर्ति के नियम अपने मुताबिक तय करवाए हैं। इस वजह से किसानों को बीमा के नाम पर सिर्फ और सिर्फ कौड़ी ही मिलती है। जब तक किसानों के मुताबिक नियम नहीं बनेंगे तब तक ऐसी ही स्थिति बनी रहेगी। पूर्व कृषि निदेशक जे.एल. सरोज का कहना है कि सरकार ने कुछ माह पूर्व बीमा के नियमों में बदलाव किए हैं, जिसका लाभ अगले वित्त वर्ष से किसानों को मिलने की उम्मीद है।  

 


यूपी में छह बीमा कम्पनी 75 जिलों में सेवाएं प्रदान कर रही हैं। सबसे रोचक बात यह है कि नौकरशाही के संरक्षण के कारण इन छह बीमा कम्पनियों का आपसी गठजोड़ इतना मजबूत है कि हर बीमा कम्पनी को 12-12 या कुछ अधिक जिले आपस में बांट रखे हैं। इन जिलों इन कम्पनियों का एकछत्र राज है। अधिकतर बीमा कम्पनियां के निर्धारित जिलों में कार्यालय भी नहीं हैं। जिससे किसानों को फसल बीमा का क्लेम के लिए मारे-मारे घूमना पड़ता है। सूत्रों का कहना है कि अफसरों को बीमा कम्पनियां भारी-भरकम सुविधा शुल्क भी देती हैं। इसी वजह से बीमा कम्पनियों की अनियमितताओं पर कृषि विभाग के आला अफसर आंखे मंूद रखे हुए हैं।