अवैध खनन एवं परिवहन पर प्रभावी नियंत्रण हेतु आड़े नहीं आएगी पैसे की कमी: डा. रोशन जैकब
भंडारण अनुज्ञापत्रों के आवेदन पत्रों का किया जाए, शीघ्र निस्तारण: डा. रोशन जैकब
आवश्यक कुशल/अकुशल कार्मिको की उपलब्धता हेतु जिलाधिकारियों को अधिकृत किया गया है
परिवहन मार्ग की नियमित जांच करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है
लखनऊ । सचिव एवं निदेशक, भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग उत्तर प्रदेश, डा. रोशन जैकब ने बताया कि उनके संज्ञान में आया है कि पर्याप्त इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं कार्मिको की उपलब्धता न होने के कारण खनन क्षेत्रों एवं परिवहन मार्ग की नियमित जांच करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में सरकार द्वारा प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु जिला अधिकारियों को अधिकार प्रदत्त किए गए हैं। उन्होंने बताया कि डी.एम. एफ. निधि से अवैध खनन एवं परिवहन पर प्रभावी नियंत्रण हेतु न्यूनतम आवश्यक तकनीकी अवसंरचनाओं के सृजन एवं इसके लिए आवश्यक कुशल/अकुशल कार्मिको की उपलब्धता हेतु जिलाधिकारियों को अधिकृत किया गया है।
डा. रोशन जैकब ने बताया कि भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा निर्गत गाइडलाइन के अनुसार मानसून सत्र (जुलाई, अगस्त, सितंबर) में खनन संक्रिया प्रतिबंधित रहती है। उन्होंने बताया कि भूतत्व एवं खनन निदेशालय में प्राप्त सूचना के अनुसार अभी तक भंडारण अनुज्ञप्ति हेतु 71 आवेदन पत्र प्राप्त हुए हैं, जिनमें अपेक्षा के अनुरूप पर्याप्त भंडारण लाइसेंस प्रदान नही किए गए हैं ।इस सम्बन्ध में सभी जिला अधिकारियों को निर्देशित किया है,कि वह अपने जनपदों में प्राप्त भंडारण अनुज्ञापत्रों के आवेदन पत्रों पर समीक्षा कर शीघ्र निस्तारण की कार्रवाई सुनिश्चित करें, ताकि माह मई की अवशेष अवधि एवं जून माह मे पर्याप्त मात्रा में उप खनिजों का भंडारण किया जा सके, जिससे शासकीय निर्माण कार्यों, विकास परियोजनाओं एवं आम जनमानस को आगामी मानसून सत्र के दौरान खनिजों की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में अन्य राज्यों से आने वाले खनिज वाहनों पर उस राज्य के वैध अभिवहन प्रपत्र के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश का इंटरस्टेट ट्रांजिट पास (आईएसटीपी) होने पर ही खनिज का परिवहन विधिमान्य किया गया है। उन्होंने जिला अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जनपद स्तर से उप खनिजों के वाहनों की नियमित रूप से जांच कर यह सुनिश्चित कर लिया जाए कि आई०एस०टी०पी० के माध्यम से ही प्रदेश में खनिजों का परिवहन हो।