सरकार के खिलाफ हर मौके पर मुखर रहे लल्लू

27 दिन बाद जेल से रिहा हुए अजय कुमार लल्लू 


श्रमिकों के लिए सौ बार जेल जाने को तैयार हूं: लल्लू


विरोध प्रदर्शन में सड़क से राजभवन तक दी दस्तक


सरकार के खिलाफ हर मौके पर मुखर रहे लल्लू


लखनऊ। आखिरकार कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को उच्च न्यायालय से जमानत मिल ही गयी। प्रदेश में योगी सरकार के सत्तारूढ़ होने के बाद किसी राजनीतिक दल के वे ऐसे पहले नेता है जिन्होंने किसी जनहित के मुद्दों को लेकर न सिर्फ सड़कों पर संघर्ष किया बल्कि 27 दिन जेल में रहे। उनके खिलाफ  प्रवाासी मजदूरों को यूपी वापस लाने के लिए 1000 बसों की फर्जी सूची देने का आरोप लगाया गया था। पिछले शुक्रवार को अजय कुमार लल्लू को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिल सकी थी और हाईकोर्ट लखनऊ बेंच ने 16 जून को मामले की केस डायरी तलब की थी। राज्य सरकार के निर्देश पर प्रियंका के निजी सचिव संदीप सिंह, प्रदेशाध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप में हजरतगंज कोतवाली में परिवहन अधिकारी आरपी त्रिवेदी की शिकायत पर मुकदमा दर्ज किया गया था। यह मुकदमा भारतीय दंड विधान की धारा 420, 467 और 468 के तहत दर्ज किया गया था। यह मुकदमा उत्तर प्रदेश सरकार के उस आरोप उस लिस्ट के सामने आने के बाद दर्ज किया गया जिसमें कांग्रेस द्वारा प्रवासी मजदूरों को उनके गंतव्य तक ले जाने के लिए दी गई 1000 बसों की लिस्ट में शामिल कुछ वाहनों के नंबर दो पहिया तिपहिया वाहनों तथा कारों के तौर पर दर्ज पाए गए थे।


उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से जमानत मिल गई है। 3 जून को हजरतगंज पुलिस ने अजय कुमार लल्लू को गिरफ्तार किया था। बुधवार को जमानत पर रिहा होने के बाद लल्लू हजरतगंज पहुंचे। यहां महात्मा गांधी और सरदार पटेल की प्रतिमाओं पर उन्होंने माल्यार्पण किया। जेल से रिहा होने के बाद लल्लू ने गुरुवार को प्रेस कांफ्रेंस की। अजय कुमार लल्लू ने कहा कि पैदल चल रहे प्रवासी श्रमिकों के लिए बसें चलवाने की अनुमति मांगी, लेकिन सरकार ने अपनी गरीब विरोधी मानसिकता का परिचय दिया। मजदूरों की सेवा में लगे हमारे नेताओं के उपर फर्जी मुकदमा दर्ज कर दिया। लल्लू ने कहा 'योगी सरकार भूल गई है कि हम अंग्रेजों से लड़ें हैं। आप जैसे तानाशाह, गरीब विरोधी और अहंकारी हमें मानवता की सेवा करने से नहीं रोक पाएंगे। मजदूरों की सेवा करने पर हमारे नेताओं पर फर्जी मुकदमें लाद दिये गए हैं। मैंने गुड़गांव में खुद मजदूरी की है। मैं श्रमिकों का दर्द समझता हूं। मैं उनके पैरों के छालों का दर्द महसूस कर सकता हूं। योगी जी कान खोलकर सुन लीजिए अपने श्रमिक भाई-बहनों के लिए सौ बार जेल जाने को तैयार हूं।'


लल्लू ने कहा 'गरीब विरोधी सरकार ने मुझे 27 दिनों तक जेल में रखा। मुझे अपने वकील तक से नहीं मिलने दिया। मुझे इस बात की परवाह नहीं है। मुझे सिर्फ इस बात की फिक्र थी कि सड़कों पर हजारों की तादाद में लोग पैदल चल रहे होंगे। उनके पांव में छाले पड़ गए होंगे। मुझे इस बात की चिंता थी लोगों तक खाना कैसे पहुंच रहा होगा। मुझे यह बात परेशान कर रही थी कि जो लोग परदेश में हैं, उनकी मदद कैसे हो रही होगी। लेकिन मेरे बहादुर साथियों ने सेवा के सत्याग्रह को रुकने नहीं दिया।' लल्लू ने कहा कि मेरे लिए यह पल बहुत ही भावुक कर देने वाला है कि हमारी पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के निर्देश पर पूरे प्रदेश में 1 करोड़ 15 लाख लोगों तक भोजन और राशन का बंदोबस्त किया गया। 10 लाख से अधिक लोगों की बाहर दूसरे प्रदेशों में मदद हुई है। मेरी रिहाई के लिए पार्टी ने सेवा सत्याग्रह आंदोलन किया और हर जिले में रसोईघर चलाकर जरूरतमंदों को भोजन कराया गया।


हालांकि इस मुद्दे पर कांग्रेस की आक्रामकता देखते बनी वह बचाव की मुद्रा में नहीं दिखी उसने इस मुद्दे पर खासे तेवर दिखाए। यह कोई पहला मौका नहीं था इससे पहले भी कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद अजय कुमार लल्लू हमेशा सदन से सड़क तक आक्रामक रहे। सदन में भले उनकी पार्टी का संख्याबल कम हो लेकिन जनहित से जुड़े मुद्दों को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा करने के मामले में वे बाकी विपक्षी दलों के नेताओं से हमेशा आगे रहे। लाकडाउन के दौरान बसो मुहैया कराए जाने के मुद्दे पर उन्हे पहले आगरा में गिरफ्तार किया गया फिर छूटते ही पुन:गिरफ्तार कर उन्हे लखनऊ जेल में डाल दिया गया। वे पिछली 21 मई से जेल में बंद थे। उनकी गिरफ्तारी को लेकर कांग्रेस ने खासा विरोध प्रदर्शन किया। कांग्रेस की महासचिव तथा प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी इस मुद्दे पर खासी मुखर दिखी। कांग्रेस इस मामलें को लेकर लगातार योगी सरकार पर हमलावर रही। कांग्रेस का कहना था कि सरकार ने जान-बूझकर कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ षड्यंत्र रचा है। कांग्रेस ने अजय कुमार लल्लू की रिहाई को लेकर पिछले दिनों प्रदेश भर में प्रदर्शन भी किया था।


बता दे कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के निजी सचिव संदीप सिंह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और अन्य लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था। लल्लू की गिरफ्तारी के विरोध में पिछले दिनों कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से भी मुलाकात कर राज्य सरकार के अधिकारियों की शिकायत की थी। पूरे प्रदेश में कांग्रेस के कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे।


यह पहला मौका था कि विपक्ष के नाम पर लोगों को सड़कों पर कांग्रेस दिखी। पिछले दो चुनावों में कांग्रेस भले हाशिए पर चली गयी हो लेकिन जनता के मुद्दों को लेकर वही सबसे ज्यादा मुखर दिखाई दी। विपक्ष के बाकी दल केवल बयानबाजी और ट्विट करने तक ही सीमित रहे। राजनीतिक जानकारों की माने तो प्रदेश में इस समय असली विपक्ष की भूमिका कांग्रेस ही निभा रही है। प्रवासी मजदूरों को गंतव्य तक पहुंचाने के लिए बसों की व्यवस्था करने से लेकर उनलोगों को खाना मुहैया कराने की कांग्रेस की ओर से जो पहल हुयी वह किसी राजनीतिक दल ने नहीं की।


भाजपा के नेता भले इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने की बात कहे लेकिन कांग्रेस ने प्रवासी मजदूरों के लिए जो भी किया वह किसी से छिपा नहीं है। कहने को उत्तर प्रदेश में मुख्यविपक्षी दल के रूप में समाजवादी पार्टी,बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल जैसी कई चिल्लर पार्टिया है लेकिन इनमें से किसी ने प्रवासी मजदूरों की समस्याओं और उनकी सुविधाओं की दिशा में कोई सार्थक पहल नहीं की। केवल इस मुद्दे पर राजनीति होती रही।