उ.प्र.स्ंगीत नाटक अकादमी की रूपसज्जा कार्यशाला का समापन

लखनऊ,। आॅनलाइन मीटिंग में बड़ी स्क्रीन पर कोई श्रीकृष्ण था तो कोई राधा, कोई मां काली, कोई शंकर के दिव्य स्वरूप या अर्धनारीश्वर तो कोई मर्यादा पुरुषोत्तम राम या रामभक्त हनुमान के रूप में था। कोई वृद्ध के रूप धरे था तो किसी ने चेहरे पर जली त्वचा का प्रभाव दिखाया था। किसी ने अपने को कथक नृत्यांगना तो किसी ने भरतनाट्यम या कथकली नृत्यांगना के रूप में सजाया था।
उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी द्वारा आयोजित आॅनलाइन मेक-अप कार्यशाला के समापन अवसर पर आज प्रतिभागियों के आॅनलाइन चेहरे अलग-अलग किरदारों के मेकअप में दिखाई दे रहे थे। बीस दिन की यह आॅनलाइन कार्यशाला राजधानी के रूपसज्जा कलाकार दिनेश अवस्थी के निर्देशन में आठ जून से चल रही थी। इस कार्यशाला में प्रदेश प्रदेश के विभिन्न शहरों से लगभग 70 प्रतिभागी शामिल हुए।
समापन अवसर पर अकादमी के सचिव तरुण राज ने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कह कि रंगमंच में मेक-अप की भी अहम भूमिका रहती है। चरित्र को उभारने में इस विधा का समुचित प्रयोग किया जाना चाहिए। वर्तमान परिवेश को देखते हुए ही इस बार मेक-अप कार्यशाला आॅनलाइन आयोजित की गई। कार्यशाला संचालक दिनेश ने बताया कि कार्यशाला में प्रतिभागियों को सामान्य, रूखी, तैलीय व असामान्य चार प्रकार की त्वचाओं के बारे में बताने के साथ अनुपलब्ध व कम सामग्री व संसाधनों की स्थिति में कैसे चरित्र को तैयार किया जाये, यह भी बताया गया। साथ ही कार्यशाला में प्रतिभागियों को सामान्य, पार्टी मेकअप, ब्राइडल मेक-अप इत्यादि के संग ही विशेष रूप से मंच पर नृत्य व नाट्य प्रस्तुतियों के लिए चरित्रानुकूल मेक-अप के संग विशेष प्रभाव की सज्जा की जानकारी रूपसज्जा के उपयोग में आने वाली सामग्री के संग दी गई। इसके अलावा दाढ़ी-मूछों के विभिन्न प्रयोग सिखाए गये। अंतिम दो दिन प्रतिभागियो को सीखे गये मेक-अप में से कोई भी एक रूप प्रस्तुत करने का मौका दिया गया।
कार्यशाला समापन के अवसर पर कल की तरह आज भी कार्यशाला संयोजक शैलजा कांत व निर्देशक दिनेश ने प्रतिभागियों को उनके द्वारा किये गये मेक-अप की खूबियां और कमियां गिनाईं। साथ ही प्रतिभागियों ने प्रश्न कर अपनी जिज्ञासाओं को भी शांत किया।