...अब ना कोई विद्यार्थी शिक्षा से वंचित होगा और ना ही रोजगार के लिए दर-दर भटकना पड़ेगा

...अब ना कोई विद्यार्थी शिक्षा से वंचित होगा और ना ही रोजगार के लिए दर-दर भटकना पड़ेगा


नई शिक्षा नीति: स्टूडेंट्स के लिए खोलेगी जॉब के अवसर 


34 बरस बाद नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू कर सरकार ने कहीं न कहीं संदेश दिया है


पूरे देश में एक जैसे शिक्षा प्रणाली से नए राष्ट्र का निर्माण होगा


नयी शिक्षा नीति आने वाले सालों में इंडिया को एजुकेशन के एक अलग आधुनिक लेवल पर पहुंचा देगी



लखनऊ । फिरहाल, नयी शिक्षा नीति में बदलाव कर भाजपा अपने एक और चुनावी वायदे को पूरा किया है। 34 बरस बाद नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू कर सरकार ने कहीं न कहीं संदेष दिया है कि भाजपा ही देष को विष्वगुरु बना सकती है। पुरानी षिक्षा प्रणाली को खत्म कर अब देश भर में उच्च शिक्षा के लिए एक ही नियामक बनाने और प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेंस टेस्ट जैसे कई प्रावधान देकर षिक्षा माफियाओं की दुकान पर ताला लगा दिया है। इस नयी षिक्षा नीति स ेअब ना कोई विद्यार्थी शिक्षा से वंचित होगा और ना ही रोजगार के लिए दर-दर भटकना पड़ेगा। अब उसका समग्र विकास होगा। पाठ्यक्रम और फीस तय करने के लिए नियामक सरकारी और निजी शिक्षण संस्थानों के लिए एक समान मानदंड तय किए जाएंगे। इसका अर्थ यह है कि नियामक के फ्रेमवर्क में ही पाठ्यक्रम का शुल्क निर्धारित होगा और इसके अतिरिक्त कोई भी शुल्क छात्रों से नहीं लिया जा सकेगा। मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम से स्टूडेंट्स को फायदा होगा।  पूरे देश में एक जैसे शिक्षा प्रणाली से नए राष्ट्र का निर्माण होगा। नयी शिक्षा नीति आने वाले सालों में इंडिया को एजुकेशन के एक अलग आधुनिक लेवल पर पहुंचा देगी। स्टूडेंट्स के लिए जाॅब अपॉर्चुनिटी बढ़ेगी। जबकि षिक्षा माफियाओं सहित हर साल स्कूलों में ड्रेस बदलने, किताबों में फेरबदल एवं कोचिंग वालों की डकैती पर लगाम लगेगा। इसमें आने वाले बच्चों को न सिर्फ बेहतर शिक्षा मिलेगी। बच्चों के रिपोर्ट कार्ड में लाइफ स्किल्स को जोड़ा जाएगा। सरकार की यह एक अच्छी सोच है। जिससे बच्चों में लाइफ स्किल्स का भी विकास हो सकेगा। अभी रिपोर्ट कार्ड में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था ।
 
अभी तक यदि स्टूडेंट किसी कारण बस पढ़ाई छोड़ देता है तो उसे किसी तरह का क्रेडिट नहीं मिलता था। लेकिन अब स्टूडेंट्स आसानी से एक्जिस्ट कर सकता है। इसमें एक साल के बाद सर्टिफिकेट 2 साल के बाद डिप्लोमा और 3 से 4 साल के बाद डिग्री मिल जाएगी। खास बात यह है कि पूरे देश में एक ही सिलेबस प्रक्रिया होगी। इससे स्कूलों में किताबों के बदलने के नाम अभिभावकों की जेब पर डाका डालने वाले स्कूल संचालकों की हेकड़ई खत्म हो जायेगी। स्कूली शिक्षा को 5 प्लस 3 प्लस 3 प्लस 4 सिस्टम होगा। इसमें प्ले ग्रुप में ही फस्र्ट और सेकेंड क्लास को जोड़कर फाउंडेशन का नाम दिया गया है। थर्ड शिफ्ट क्लास प्रारंभिक से छह से आठ, मिडिल और 9 से 12 सीनियर क्लासेस होंगी। इंजीनियरिंग के साथ स्टूडेंट पसंद के सब्जेक्ट भी ले सकते हैं। इनमें म्यूजिक और फैशन जैसे विषय शामिल होंगे। दूसरे देशों में ऐसी व्यवस्था पहले से ही है। एजुकेशन पॉलिसी का हमें बहुत समय से इंतजार था। इसका फायदा आने वाले पांच-छह सालों में नजर आने लगेगा। सिक्स क्लासेस से बच्चों को कोडिंग सिखाना वाकई में बहुत ही सराहनीय कदम है। 



प्रैक्टिकल बेस्ड और प्रॉब्लम सॉलिं्वग एजुकेशन से रट्टे मारने वाली एजुकेशन से दूर हटेंगे। 5वीं तक स्थानीय भाषा में पढ़ना होगा। ऐसे में इंग्लिश को सब्जेक्ट के रुप में पढ़ना बहुत जरूरी है। आज बिना अंग्रेजी के शिक्षा अधूरी है। वही, प्री स्कूल और पहली व दूसरी कक्षा में बुनियादी भाषा और गणिम का ज्ञान बहुत जरूरी है। 10वीं और 12वीं के कोर्स को अब चार साल में बांट दिया गया है। 9वीं से 12वीं तक हर साल 2 समेस्टर यानी चार साल में कुल 8 समेस्टर होंगे। बच्चे जिस समेस्टर में खुद को तैयार पाएं उसकी परीक्षा दें। छात्र अब अपने हर समेस्टर में किसी एक विषय में भी बोर्ड परीक्षा दे सकेगे। सेकेंड्री स्कूल के दौरान हर बच्चे को गणित और विज्ञान में दो समेस्टर, इतिहास, विश्व इतिहास, भारत का ज्ञान, नीति शात्र अर्थ शास्त्र, भूगोल आदि में एक समेस्टर में बोर्ड परीक्षा देनी होगी। इसके अलावा हर छात्र को तीन बेसिक भाषा की बोर्ड परीक्षा देनी होगी। हर छात्र को कम से कम 24 विषयों में बोर्ड परीक्षा में बैठना होगा। यानी एक सेमस्टर में औसतन 3 परीक्षाएं। ये परीक्षाएं स्कूलों की सालाना परीक्षाओं की जगह होगी ताकि बच्चों पर ज्यादा बोझ न पड़े। प्रैक्टिकल स्थानीय स्तर पर होगा। रिपोर्ट कार्ड पर प्रैक्टिकल और लिखित परीक्षा के नम्बर अलग अलग दिखाए जाएंगे। यानी स्कूली शिक्षा अब 4 माड्यूल में चलेगी। इसके तहत नर्सरी, केजी और अपर-केजी भी अब स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम का हिस्सा होंगे। अब तक केवल प्ले स्कूलों में ये पढ़ाई होती थी। अब सरकारी स्कूलों में गरीब बच्चे भी प्ले स्कूल में जा सकेंगे। उन्हे मिड डे मील के अलावा अब सुबह का पौष्टिक नाश्ता भी मिलेगा। जैसे केला और दूध वगैरह. ये बेशक अच्छी पहल है। 



नई नीति से युवाओं के लिए उच्च शिक्षा लेना आसान हो जाएगा। नई शिक्षा नीति में शिक्षकों और बच्चों के लिए बेहतर सुविधा दिखाई दे रही है। जिससे आधुनिक भारत का निर्माण होगा। बस सरकार इसे अमल में लाए। शिक्षकों से सिर्फ अध्यापन कार्य के अलावा कोई कार्य नहीं लेना पहले से तय था, लेकिन इसके बाद भी शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जाती थी। इस शिक्षा नीति में भी यह तय किया गया है, कि शिक्षकों की ड्यूटी अध्यापन कार्य के अलावा सिर्फ चुनाव में होगी, लेकिन जनगणनता सहित अन्य कार्यों में भी शिक्षकों की ड्यूटी यदि नहीं लगाई गई तो शिक्षा नीति कारगार साबित होगी। इस नीति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा के साथ कृषि शिक्षा, कानूनी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसी व्यावसायिक शिक्षाओं को इसके दायरे में लाया गया है। शिक्षकों के सपोर्ट के लिए तकनीकी के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने की बात भी नई शिक्षा नीति - 2019 के मसौदे में है। इसके लिए कंप्यूटर, लैपटॉप व फोन इत्यादि के जरिए विभिन्ना एप का इस्तेमाल करके शिक्षण को रोचक बनाने की बात कही गई है। सरकार का यह एक बेहतर प्रयास है। इसमें आने वाले बच्चों को बेहतर शिक्षा मिलेगी। पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान पद्धितियों को शामिल करने, ’राष्ट्रीय शिक्षा आयोग’ का गठन करने और प्राइवेट स्कूलों को मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने से रोकने की सिफारिश की गई है। एक अच्छी पहल है। जिससे निजी स्कूलों में साल दर साल बढ़ने वाले फीस पर रोक लग सकेगी। 



अभी तक निजी स्कूलों पर काफी छूट दी गई है। अब बच्चों को रिपोर्ट कार्ड नहीं, प्रोग्रेस कार्ड मिलेंगे। सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक हर बच्चे के लिए शिक्षा सुनिश्चित की जाए। इसके लिए एनरोलमेंट को 100 फीसदी तक लाने का लक्ष्य है। इसके अलावा स्कूली शिक्षा के निकलने के बाद हर बच्चे के पास लाइफ स्किल भी होगी, जिससे वो जिस क्षेत्र में काम शुरू करना चाहे, तो वो आसानी से कर सकता है। अब बच्चों को साल भर पढ़ना होगा। अगर कोई विषय ठीक से नहीं पढ़ पाए तो उसकी परीक्षा किसी और समेस्टर में दे दें। यानी अब बोर्ड परीक्षा बच्चों की मर्जी से होगी। पढ़ाई थोपी नहीं जाएगी। उसका कोई तनाव नहीं होगा। रटने से काम नहीं चलेगा समझना भी होगा क्योंकि पेपर में आबजेक्टिव सवाल भी आएंगे। खास यह है कि नई शिक्षा नीति में कक्षा 3, 5, 8 में भी राज्य स्तर की बोर्ड जैसी परीक्षा होगी। बच्चे को पास फेल करने के लिए नहीं बल्कि ये जानने के लिए मास्टर साहब क्लास में बच्चों को ठीक पढ़ा भी रहे हैं या नहीं।