लखनऊ की जनता के प्रति था टंडन का विशेष लगाव
राजनीति में टंडन की खास पहचान इसलिए मानी गई
अटल जी का राजनैतिक इतिहास अगर लखनऊ की धरती से जुड़ा, तो उसके पीछे लाल जी टंडन की मुख्य भूमिका रही
त्रिनाथ कुमार शर्मा
जब कमलनाथ ने शक्ति परीक्षण में देरी की तो मंझे हुए प्रशासक एवं राजनेता के रूप में टंडन ने सरकार से कहा कि वह विधानसभा में बहुमत साबित करे। इसके बाद मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच पत्राचार का सिलसिला चलता रहा, जो बाद में कानूनी लड़ाई में तब्दील हो गया। अंतत: सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे प्रकरण में टंडन के निर्देश के पक्ष में फैसला सुनाया। कमलनाथ सरकार 22 विधायकों के इस्तीफे से अल्पमत में आ गयी और सरकार गिर गयी, जिसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनने का रास्ता तैयार हुआ। उसी समय देश भर में वैश्विक महामारी कोविड-19 फैली और अन्य राज्यों की तरह मध्य प्रदेश में भी लॉकडाउन लगा। इस दौरान टंडन ने जरूरतमंदों तक भोजन पहुंचाने के लिए राजभवन की रसोई खोल दी। साथ ही राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में टंडन शैक्षिक संस्थानों की नियमित निगरानी करते रहे और उन्होंने सुनिश्चित किया कि किसी भी कीमत पर शिक्षण के मानदंड बने रहें।
टंडन का जन्म 12 अप्रैल 1935 को लखनऊ के चौक में हुआ था। स्नातक करने के बाद उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया। पहली बार वह 1978 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य बने। ऊपरी सदन में वह दो बार 1978-1984 और उसके बाद 1990 -1996 के बीच चुने गए। वह 1996 से 2009 के बीच तीन बार विधायक चुने गए और 1991-92 में पहली बार उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार में मंत्री बने। उस समय उनके पास उर्जा विभाग था।
उत्तर प्रदेश में भाजपा के दमदार नेता माने जाने वाले टंडन ने बसपा-भाजपा की गठबंधन सरकार में बतौर शहरी विकास मंत्री अपनी सेवाएं दी। उन्होंने कल्याण सिंह सरकार में भी बतौर मंत्री अपनी सेवाएं दी थीं। लालजी का विवाह 1958 में कृष्णा टंडन से हुआ था। उनके तीन बेटे हैं। उनमें से एक आशुतोष टंडन इस समय उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री हैं।
लाल जी टंडन के न रहने की खबर मंगलवार को तड़के जैसे ही आई, लोगों को ऐसा प्रतीत हुआ कि उनके परिवार का कोई सदस्य उनसे रुखसत हो गया हो। लखनऊ के अलावा पूरा देश उनके निधन से स्तब्ध है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ उनकी राजनीतिक कर्मशाला और पाठशाला जैसी रही, तभी उन्हें 'लखनऊ का लाल' कहा जाता था। लखनऊ की मिट्टी से दो राजनेताओं का जुड़ाव सबसे ज्यादा रहा। अव्वल, अटल बिहारी वाजपेई और दूसरे लाल जी टंडन। बाबूजी के नाम से प्रसिद्व लाल जी टंडन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के हमेशा करीबी और अतिप्रिय रहे। अटल जी का राजनैतिक इतिहास अगर लखनऊ की धरती से जुड़ा, तो उसके पीछे लाल जी टंडन की मुख्य भूमिका रही।