वैदिक आचार्य संपादित कराएंगे श्रीराम जन्मभूमि का शिलान्यास

वैदिक आचार्य संपादित कराएंगे श्रीराम जन्मभूमि का शिलान्यास



 

लखनऊ। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर की आधारशिला पांच अगस्त को उनके जन्म के मुहूर्तकाल में रखी जाएगी। सुबह गौरी-गणेश की पूजा के साथ ही पांच पावन नदियों के जल से अनुष्ठान होगा। नवग्रह, सभी देवी-देवताओं की पूजा की जाएगी। यह सब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के कर्मकंाड विद्वानों व धर्माचार्यो द्वारा संपंन होगा। भूमि पूजन सहित समस्त अनुष्ठान की जिम्मेदारी काशी विद्वत परिषद विद्वत संयोजक और बीएचयू के प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी को सौंपी गयी है। उनके साथ बीएचयू संस्कृत विद्या धर्म संकाय के ज्योतिष विभाग के प्रोफेसर विनय पांडेय, प्रोफेसर रामचंद्र पांडेय भी होंगे। 

बता दें, भूमि व शिला पूजन के लिए चार बदु अहम हैं। उसी के आधार पर पूजन शास्त्रीय विधि से संपन्न कराएं जायेंगे। भूमिपूजन का अनुष्ठान 3 अगस्त से ही शुरू हो जायेगा। काशी विद्वत परिषद विद्वत संयोजक और बीएचयू के प्रो राम नारायण द्विवेदी ने बताया कि 3 अगस्त को पहले दिन गणपति पूजन एवं पंचांग पूजन के साथ अनुष्ठान की शुरुआत होगी। साथ ही वाल्मीकि रामायण एवं कई अन्य शास्त्रीय ग्रंथों का पाठ शुरू होगा। अगस्त को दूसरे दिन पाठ की निरंतरता आगे बढऩे के साथ रामार्चा पूजन और प्रवचन का क्रम संयोजित होगा। जबकि, 5 अगस्त भूमिपूजन के दिन शास्त्रानुकूल भूमिपूजन का पारंपरिक अनुष्ठान होगा। इसे 10 से 15 वैदिक आचार्य संपादित कराएंगे। इनमें चुनिदा स्थानीय वेदज्ञों के साथ दिल्ली एवं बनारस तक के विद्वान शामिल होंगे। इनमें दिल्ली निवासी मूर्धन्य वेदज्ञ आचार्य चंद्रभानु शर्मा एवं बनारस के दिग्गज कर्मकांडी जयप्रकाश त्रिपाठी भी शामिल हो सकते हैं। भूमि पूजन 4 चरणों में होगा। सुबह 8.30 बजे गणपति का पूजन। इसके बाद भगवान भास्कर समेत नवग्रहों का पूजन। फिर 5 नदियों के जल से पूजन होगा। इसमें प्रयागराज की त्रिवेणी, अयोध्या से सरयू और नर्मदा के साथ गंगा जल भी होगा। अंत में वरुण, इंद्र समेत सभी देवी-देवताओं का पूजन होना है। मंदिर के शिलान्यास से उत्साहित श्रीराम के आराध्य की नगरी से बाबा विष्वनाथ के आशीर्वाद के प्रतीक के रूप में पांच चांदी के बिल्व पत्र और सवा पाव चंदन भी अयोध्या जाएगा। 

बीएचयू के प्रो. विनय पांडेय ने बताया कि अभिजीत मुहूर्त यानी मध्यान्ह काल होता है। एक दिन में 15 मुहूर्त होते हैं। 5 अगस्त को अयोध्या में 5.31 बजे सुबह सूर्योदय होगा और शाम 6.41 बजे पर सूर्यास्त होगा। इसके बीच का समय करीब 13 घंटा 10 मिनट का होगा, जिसे 15 से भाग करने पर करीब 53 की संख्या मिलती है। यानी 53 मिनट। शुरू के 7 मुहूर्त और बाद के 7 मुहूर्त को छोड़ दीजिए तो बीच के आठवें मुहूर्त को मध्यान्हकाल कहते हैं। 5 अगस्त को मध्यान्हकाल 11 बजकर 40 मिनट 29 सेकेंड से 12.बजकर 33 मिनट 9 सेकेंड