बाराबंकी से राजधानी लखनऊ तक पदयात्रा

कोरोना में इलाज के नाम पर हो रहा भ्रष्टाचार  


भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की नीति के तहत योगी सरकार विफल हो रही है


 
लखनऊ। कोरोना संकट के समय देश व समाज में इलाज के नाम पर हो रहा भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या बन गई है। जो समाज के लोगों को मौत के करीब ले जा रही है। आपदा में अवसर तलाशने वाले ऐसे नौकरशाह भष्ट तंत्र का हिस्सा बन रहे है। ऐसे में कोविड-19 से संबंधित प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की मांग को लेकर ‘भ्रष्टाचार निराकरण पदयात्रा’ निकाली जा रही है। यह जानकारी हिन्दी पत्रकार एसोसिएशन उप्र के जिलाध्यक्ष एवं सामाजिक कार्यकर्ता पाटेश्वरी प्रसाद ने दी। 
श्री प्रसाद ने बताया कि आगामी 24 अगस्त दिन सोमवार को बाराबंकी से राजधानी लखनऊ तक पदयात्रा निकाली जाएगी। यह पदयात्रा सुबह 7 बजे नगर के गाँधी भवन से प्रारम्भ होकर लखनऊ के हजरतगंज स्थित महात्मा गाँधी की प्रतिमा पर समाप्त होगी। तदोपरान्त महामहिम राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल को एक 10 सूत्रीय मांगपत्र सौंपा जाएगा। इस पदयात्रा का नेतृत्व समाजवादी चिन्तक राजनाथ शर्मा करेंगें। जिसमें सामाजिक कार्यकर्ता रंजय शर्मा और उमानाथ यादव ‘सोनू यादव’ शामिल होंगे। 
श्री प्रसाद ने बताया कि कोरोना से संबंधित आइसोलेशन सेन्टर एवं निजी हॉस्पिटलों में बने एल-वन, एल-2, एल-3 समकक्ष हॉस्पिटल में व्यप्त भ्रष्टाचार और स्वास्थ्य सम्बंधी अनिमितताओं की जानकारी सार्वजनिक होने के बाद भी शासन व प्रशासन कोई कार्यवाही नही करता है। जो बेहद चिंताजनक है। 
श्री प्रसाद ने बताया कि सरकार की नीतियों को प्रभावित करने वाले नौकरशाहों पर कार्यवाही न होने भष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की नीति के तहत योगी सरकार विफल हो रही है। कोरोना का सहारा लेकर कुछ प्रशासनिक अधिकारी, स्वास्थ्य अधिकारी भष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। जिनके उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। 
पदयात्रा के सहयात्री रंजय शर्मा ने कहा कि कोरोना संकट के समय जनप्रतिनिधियों की भूमिका संदेहास्पद रही है। जिस जनता के वह प्रतिनिधि है, उनका पुरसाहाल लेने वाला कोई नही है। ऐसे में नौकरशाहों से ज्यादा दोषी जनप्रतिनिधि है जिनको भ्रष्टाचार की जानकारी होने के बाद भी मौन है।