बिहार चुनाव में नहीं दिखेगा सियासी सूरमाओं का 'दम'

लखनऊ। इस बार के बिहार विधानसभा के होने वाले चुनाव का राजनीतिक परिदृश्य काफी बदला हुआ है। बिहार राजनीति के कई पुराने दिग्गजों की इस बार सक्रियता नहीं दिखेगी। हां इतना जरूर है इन दिग्गजों के परिजन जरूर चुनाव मैंदान में अपना हाथ आजमयेंगे। लंबे समय तक बिहार की राजनीति में अपना परचम लहराने वाले राजद के मुखिया और वहां कई बार सीएम लालू यादव इस समय जेल में है। इस चुनाव लडऩा तो दूर वे इस बार भी पार्टी और प्रत्याशियों का प्रचार भी नहीं कर पायेंगे। लालू यादव के जेल जाने और घरेलू अन्र्तकलह के चलते लालू की पत्नी और बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी की भी सक्रियता कम दिख रही है। राबड़ी देवी बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहीं है। इस समय लालू परिवार की राजनीति उनके दोनो पुत्र तेजेस्वी यादव और तेजप्रताप यादव चला रहे है। इन दोनों के बीच कोई सांमजस्य नहीं है। घरेलू अन्र्तकलह से जूझ रहा लालू परिवार का बिखराव ही कहीं न कहीं भाजपा गठबंधन के लिए संजीवनी का काम करेगा। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के घटक लोकजनशक्ति पार्टी के मुखिया और केन्द्रीय मंत्री रामबिलास पासवान की भी सक्रियता इस बार के चुनाव कम रहने वाली है। स्वास्थ्य कारणों के कारण उनकी सक्रियता केवल विभागीय कार्यो तक ही सीमित रह गयी है।


 

पार्टी की कमान उन्होंने पुत्र सांसद चिराग पासवान को सौंपी है। सीटों के बंटवारे से लेकर प्रत्याशियों के चयन तक में ज्यादातर निर्णय वहीं ले रहे है। श्री पासवान उन्हे काफी पहले ही कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर चुके है। तभी से वे संगठन को सक्रिय करने में लगे है। बिहार के ही एक दिग्गज नेता पूर्व केन्द्रीय शरद यादव भी इस बार चुनाव में सक्रिय नहीं दिखेंगे। स्वास्थ्य कारणों के चलते वे इस चुनाव में पहले जैसी सक्रियता नहीं दिखा पाएंगे। एनडीए सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके शरद यादव बिहार में सत्तारूढ़ जनतादल यू के भी अध्यक्ष रहे। नीतीश कुमार से मतभेद होने के बाद उन्होंने लोकतांत्रिक जनता दल का गठन किया था। यूपी के बदायूं से भी सांसद रहे शरद यादव को खाटी समाजवादी नेता माना जाता है। उनकी कम सक्रियता के चलते बिहार चुनाव में उनके दल की स्थिति कैसी रहेगी। इसका पता भी जल्द ही चलेगा। बिहार की राजनीति में शरद यादव का खासा दखल रहा है।

 

लोकसभा चुनाव में एक बार वे राजद के मुखिया लालू यादव को भी शिकस्त दे चुके थे। शरद यादव बिहार प्रदेश के मधेपुरा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से चार बार लोक सभा का प्रतिनिधित्व किया। दो बार मध्यप्रदेश के जबलपुर से सांसद चुने गए एक बार उत्तर प्रदेश के बदायूं से लोकसभा के लिए चुने गए। शरद यादव संभवत: भारत के पहले ऐसे राजनेता हैं जो तीन राज्यों से लोकसभा के लिए चुने गए मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश तथा बिहार से सांसद बने। शरद यादव राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के संयोजक थे परन्तु उनकी पार्टी द्वारा गठबंधन से सम्बन्ध विच्छेद कर लेने के कारण उन्होंने संयोजक पद छोड़ दिया था।  राजनीतिक गठजोड़ के माहिर खिलाड़ी शरद यादव को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का राजनीतिक गुरु माना जाता है।