" नई शिक्षा नीति से बच्चों का चुतुर्मुखी विकास होगा "

नई शिक्षा नीति- 2020 उद्घोष सेवा संस्थान ऑनलाइन परिचर्चा


" नई शिक्षा नीति से निश्चित ही नए भारत के भविष्य पर व्यापक प्रभाव होगा "


" नई शिक्षा नीति से बच्चों का चुतुर्मुखी विकास होगा "


" नई शिक्षा नीति से ज्ञान एवं कौशल में वृद्धि कर बच्चो को योग्य बनाया जाएगा "


" बदलते ग्लोबल स्टैंडर्ड के हिसाब से भारत के एजुकेशन सिस्टम में बदलाव करने भी बहुत जरूरी है "


 
लखनऊ । जन उद्घोष सेवा संस्थान द्वारा नई शिक्षा नीति 2020 के ऊपर ऑनलाइन चर्चा का आयोजन किया गया। चर्चा में विभिन्न स्थानों से प्रबुद्ध जनों और शिक्षाविदों तथा कानूनविदों ने भाग लिया और अपने विचार साझा किए।


         चर्चा में भाग लेने वाले वक्ताओं में उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता  हरि शंकर जैन, लखनऊ विश्वविद्यालय सांख्यिकी विभाग की आचार्य डॉ. शीला मिश्रा, रूहेलखंड विश्वविद्यालय की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ आभा त्रिवेदी , राज्य शिक्षक पुरस्कार विजेता श्रीमती शशि मिश्रा, चित्रकार एवं कला समीक्षक अस्सिटेंट प्रोफेसर डॉ. अवधेश मिश्रा , भगवान दीन इंटर कॉलेज लखीमपुर की प्रधानाचार्या डॉ ज्योति तिवारी , नवयुग कन्या महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. सृष्टि श्रीवास्तव  जैसे शिक्षाविदों और विद्वानों ने अपने विचारों से छात्रों, शिक्षकों एवं जन समुदाय को लाभान्वित किया। केंद्र सरकार द्वारा लाई गई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर सभी जनों ने अपनी आशाएँ व्यक्त की और इस बात पर जोर दिया कि निश्चित ही इसका नए भारत के भविष्य पर व्यापक प्रभाव होगा। नई शिक्षा नीति देश के भविष्य निर्माण में सहायक सिद्ध हो ये कामना की। इस पर भी प्रसन्नता व्यक्त की गई। केंद्र सरकार द्वारा अब कौशल विकास पर फोकस किया जा रहा है, क्षेत्रीय भाषाओं और मात्र भाषा को बढ़ावा दिया जा रहा है जिससे बच्चों का चुतुर्मुखी विकास हो सके, साथ ही इस बात की भी आवश्यकता व्यक्त की गई इतिहास का पुनर्लेखन अब भारतीय दृष्टिकोण से होना चाहिए और पाठ्यक्रम में संस्कृत व वैदिक शिक्षा को भी सम्मिलित किया जाना चाहिए।


परिचर्चा में नई शिक्षा नीति से ज्ञान एवं कौशल में वृद्धि कर बच्चो को योग्य बनाया जाएगा । इस नीति द्वारा देश में स्कूल एवं उच्च शिक्षा में परिवर्तनकारी सुधारों की अपेक्षा की गई है। नीति में शिक्षकों के प्रशिक्षण पर विशेष बल दिया गया है। व्यापक सुधार के लिए शिक्षक प्रशिक्षण और सभी शिक्षा कार्यक्रमों को विश्वविद्यालयों या कॉलेजों के स्तर पर शामिल करने की सिफारिश की गई है। प्राइवेट स्कूलों में मनमाने ढंग से फीस रखने और बढ़ाने को भी रोकने का प्रयास किया जाएगा। चर्चा में   बुद्धिजीवियों, आम जनता एवं शिक्षा जगत में मिली-जुली प्रतिक्रिया रही। वहीं मुख्यता इसमें घोषित बदलावों का स्वागत किया गया है। चर्चा के दौरान कहा गया कि बदलते समय के साथ एक नई विश्व व्यवस्था खड़ी हो गई है। एक नया ग्लोबल स्टैंडर्ड भी तय हो रहा है। बदलते ग्लोबल स्टैंडर्ड के हिसाब से भारत के एजुकेशन सिस्टम में बदलाव करने भी बहुत जरूरी है।      
        जन उद्घोष सेवा संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलदीप तिवारी ने सरकार को धन्यवाद देते हुए नई शिक्षा नीति की सराहना की और कहा कि समाज व शिक्षाविदों से मिलने वाले सुझावों को भी सम्मिलित किया जाए। कार्यक्रम में राष्ट्रीय संगठन सचिव प्रवीण कंचन , उपाध्यक्ष प्रभाकर शर्मा,और प्रदेश अध्यक्ष अतुल मिश्र, युवप्रकोष्ठ प्रदेश महासचिव गौरव मिश्र के साथ प्रदीप जैन पाटनी सहित कई सदस्यों ने भाग लिया।