राज्य कर्मचारी संविदा प्रस्ताव पर भड़के

लखनऊ। कर्मचारी, शिक्षक एवं पेंशनर्स अधिकार मंच ने सरकारी नौकरी की शुरुआत में पांच वर्ष की संविदा के प्रस्ताव पर आक्रोश व्यक्तर करते हुए कहा कि सरकार निरन्तर ऐसे कदम उठा रही है जिससे कर्मचारी- शिक्षक वर्ग को आॢथक तथा मानसिक पीड़ा का समाना करना पड़ रहा है। कर्मचारी, शिक्षक अधिकार एवं पेंशनर्स अधिकार मंच ने मंगलवार को यहंा वीडियों कान्$फेभसग के जरिये बैठक की। कर्मचारी एवं शिक्षक नेताओं ने सरकार के इन मनमाने रवैये के खिलाफ अक्टूबर में विधानसभा घेराव से लेकर प्रान्त व्यापी आन्दोलन का निर्णय लिया है।



कलेक्ट्रेट एसोसियेशन के अध्यक्ष सुशील त्रिपाठी ने कहा कि सरकार कर्मचारी शिक्षक संवर्ग की सामाजिक प्रतिष्ठा से भी खिलवाड़ कर रही है। ऊ$र्जा समेत कई विभागों को निजीकरण की ओर ले जाने के लिए सरकार इस तरह के दमनात्मक कदम उठा रही है। सरकार के इन मनमाने रवैये के खिलाफ अक्टूबर में विधानसभा घेराव से लेकर प्रान्त व्यापी आन्दोलन का निर्णय लिया है।

विडियों कंाफेभसग के दौरान सुशील त्रिपाठी, इं.हरिकिशोर तिवारी,डा.दिनेशचन्द्र शर्मा, यादवेन्द्र मिश्रा,सतीश कुमार पाण्डेय ने महत्वपूर्ण सुझाव रखें। प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष हरि किशोर तिवारी ने कहा कि सरकारी नौकरी की शुरुआत में पांच वर्ष की संविदा के प्रस्ताव बेरोजगारों में डर और उत्पीडऩ जैसे प्रभाव रोजगार मिलने से पहले उत्पन्न हो गए है। सरकार के इस प्रस्ताव को युवा और कर्मचारी विरोधी करार देते हुए उन्होंने कहा कि युवाओं का आत्मसम्मान नहीं छीनने देंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि समूह 'ख व 'ग की भर्ती प्रक्रिया में बदलाव किया जा रहा है, जिससे सरकारी नौकरियों में भी ठेका प्रथा लागू हो जाएगी। उन्होंने कहा कि परीक्षा के जरिये चुने गए अभ्यर्थी पांच वर्ष की कठिन संविदा प्रक्रिया में छंटनी से जब बच पाएंगे, तभी पक्की नौकरी मिल पाएगी। संविदा काल में कर्मचारी पूरी तरह बंधुआ बनकर रहेगा। गुजरात में यही फिक्स पे सिस्टम है। वर्षों सैलरी नहीं बढ़ती, परमानेंट नहीं करते। उनका आरोप है वर्तमान समय में ही आउटसोॢसग के माध्यम से काम कर रहे 90 प्रतिशत ठेका काॢमकों को सरकार द्वारा निर्धारित मानदेय से 20 से 30 प्रतिशत की कटौती कर ठेकेदार भुगतान कर रहा है।

बैठक में कर्मचारी नेताओ ने कहा गया कि निजीकरण, वेतन,भत्तों मे कटौती, पुरानी पेंशन बहाली, आउटसोॄसग, संविदा बंद कर नियमित नियुक्ति उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कोरोनाकाल महामारी के दरमियान ही कर्मचारियों के शोषण करने का एक नया तरीका निकाल लिया है। कर्मचारी की भर्ती के बाद पांच वर्ष तक हर छह महीने में समीक्षा की जाएगी।