श्रीकृष्ण जन्मभूमि और उसके आसपास की भूमि को मुक्त कराने को लेकर हुई आनलाइन चर्चा

"श्रीकृष्ण जन्मभूमि और उसके आसपास की भूमि को मुक्त कराने को लेकर न्यायालय में दाखिल की गई याचिका'  विषय पर जन उद्घोष सेवा संस्थान द्वारा आयोजित ऑनलाइन परिचर्चा



जन उद्घोष सेवा संस्थान की मुख्य कार्यकारिणी सभा का`ऑनलाइन आयोजन


 


श्रीकृष्ण जन्मभूमि और उसके आसपास की भूमि को मुक्त कराने को लेकर हुई आनलाइन चर्चा



लखनऊ । जन उद्घोष सेवा संस्थान के द्वारा श्री कृष्ण जन्मभूमि पर किए गए अतिक्रमण को हटाने व अपना अधिकार पाने हेतु ऑनलाइन परिचर्चा का आयोजन किया गया।  परिचर्चा का प्रारंभ करते हुए संस्थापक अध्यक्ष कुलदीप तिवारी ने सोशल मीडिया के साथ धरातल पर कार्य करने का आह्वान किया । श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति ,जनसंख्या नियंत्रण कानून, धर्म परिवर्तन व लव जेहाद से मुक्ति के लिये जन उद्घोष सेवा संस्थान की प्रति बद्धता को दोहराया।
अधिवक्ता श्रीमती रंजना अग्निहोत्री ने बताया गूढ़ तथ्यों का संकलन कर वक्फ बोर्ड को धारा 89 के अंतर्गत नोटिस दिया गया है। याचिका कर्ता अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि  हरी शंकर ने क्लिष्ट हिन्दी, उर्दू व फारसी के अभिलेखों का अनुवाद कर वर्षों के परिश्रम को फलीभूत किया है।
     मुख्य प्रेरणा केंद्र हरीशंकर जैन ने बताया श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर खतरे के बादल सन् 712ई से मुहम्मद बिन कासिम के आक्रमण से शुरु हो गए थे।इस क्रम में राजा वीर सिंह बुंदेला ने 1618ई. में अंतिम बार पूर्ण रूप से बनवाया था।।उसके बाद 1670 ई.में औरंगजेब ने मंदिर तोडऩे व मूर्तियों को आगरा की मस्जिद मेँ लगाने का आदेश दिया ,ताकि मुस्लिम मूर्तियों पर पैर रखकर जाय। 1770 में मराठों ने मुगलों को हराकर क्षेत्र मुक्त करा दिया।मराठों को हरा कर अंग्रेजों कटरा केशव देव क्षेत्र 1815 ई.में नीलाम कर दिया ।बनारस के राजा पटनीमल ने अंग्रेजों से नीलामी में 13.37 एकड़ भूमि खरीद ली उनके वंशजों के द्वारा 1944 मेँ इसे घनश्याम दास बिड़ला को बेच दिया गया,उन्होंने इसकी रजिस्ट्री मालवीय जी के नाम पर करवाई। 1951में ट्रस्ट का गठन किया गया।समय समय पर मुकदमे हुए लेकिन भूमि पर हिंदुओं के पक्ष में ही फैसले आऐ। 1958 में श्रीकृष्ण जन्म सेवा संस्थान सोसायटी बनी इसी सोसायटी ने 12-10-1968को एक भू भाग मुस्लिम को दे दिया। 1993 में न्यायालय ने इस सोसाईटी के स्थान पर ट्रस्ट को वैधानिक करार दिया इसलिये सोसायटी द्वारा मुस्लिम को जमीन दिऐ जाना अवैधानिक है।
 जन उद्घोष सेवा संस्थान के अध्यक्ष द्वारा  उठाए गई जिज्ञासाओं का हरीशंकर जैन ने पूर्ण रूप से निवारण करते हुए दस्तावेजों को दिखाया।  रिमोट सेंसिंग एप्लिकेशन सेंटर के चेयरमैन सुधाकर त्रिपाठी ने सभी बिंदुओं पर विचार कर संगठित रूप से सभी के जनसमर्थन से लोकतांत्रिक ढंग से मुक्ति दिलाने का मार्ग प्रशस्त करने को कहा । परिचर्चा में वरिष्ठ अधिवक्ता शिशिर चतुर्वेदी ने लवजेहाद व शोषण के मामले पर प्रकाश डाला। परिचर्चा में कई प्रदेशों से जन उद्घोष सेवा संस्थान के अनेकों पदाधिकारीगण एवं सदस्यों ने भाग लिया।