स्वावलंबी कर्मयोद्धाओं से खाकी को संवार रहे हैं अरविंद चतुर्वेदी

स्वावलंबी कर्मयोद्धाओं से खाकी को संवार रहे हैं अरविंद चतुर्वेदी


 पुलिस मित्र की परिभाषा को परिभाषित करने के लिए स्वयं पुलिसकर्मियों से रूबरू होते हैं कप्तान


 डॉ अरविंद चतुर्वेदी के अभिनव प्रयास पुलिस विभाग के लिए बन सकते हैं उदाहरण


 कृष्ण कुमार द्विवेदी(राजू भैया)


बाराबंकी। अधिकांशतयाः पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारी अधीनस्थ पुलिस कर्मियों को केवल उपदेशों की गंगा में स्नान करवाते दिखते हैं! लेकिन बाराबंकी में नजारा कुछ अलग सा है। जी हां यहां कप्तान डॉ अरविंद कुमार चतुर्वेदी अपने पुलिसकर्मियों में स्वालंबन एवं करुणा तथा अनुशासन के साथ ही जी-तोड़ मेहनत के कर्म योद्धाओं का निर्माण कर उन्हें सँवारते नजर आते हैं। जाहिर है कि कप्तान श्री चतुर्वेदी के यह अथक प्रयास  प्रदेश  पुलिस विभाग यदि गंभीरता से सहेजें तो वह पुलिस मित्र का सटीक उदाहरण बन सकता है।


बाराबंकी का पुलिस विभाग वर्तमान में समाज से जुड़ने के प्रयासों में प्रशिक्षित होता नजर आ रहा है। क्योंकि पुलिस विभाग के कप्तान डॉ अरविंद कुमार चतुर्वेदी का यही भागीरथ प्रयास है। जब से पुलिस पदक से सम्मानित डॉक्टर चतुर्वेदी ने बाराबंकी की कमान संभाली है उन्होंने स्वालंबन सेवा एवं संस्कारों के साथ पुलिस कर्मियों को आगे बढ़ने की नसीहत दी है। यही नहीं स्वयं श्री चतुर्वेदी ने पुलिसकर्मियों से रूबरू होकर ऐसे जनहित के कार्यों के लिए मानसिक रूप से पुलिस कर्मियों को तैयार करने के लिए भी पूरी ताकत झोंक रखी है ।


कप्तान अरविंद कुमार चतुर्वेदी ने मिशन कायाकल्प के तहत पुलिस लाइन के कई मकानों की रंगाई पुताई एवं उसकी मरम्मत का जो अभियान चलाया उसके उत्साहजनक नतीजे सामने आए हैं।  3 घंटे के कार्य को पुलिसकर्मियों की टीम ने 2 घंटे में निपटा डाला ।यही नहीं स्वच्छता अभियान को भी पुलिस कप्तान के नेतृत्व में पुलिस कर्मियों ने आगे बढ़ाया । पुलिस अधीक्षक के द्वारा मधुमक्खी पालन का कार्य इस समय जनपद में चर्चा का विषय बना हुआ है। कई सीमावर्ती जनपदों में, प्रदेश में भी इस की धमक पहुंच चुकी है। कप्तान ने चौकीदारों को इस क्षेत्र में प्राथमिकता के साथ आगे उतारने का प्रयास किया है। इसके अलावा उन्होंने शराब के अवैध धंधे में जुड़े परिवारों को भी इस धंधे की ओर प्रेरित किया है। जिसके सकारात्मक परिणाम सूरतगंज ब्लाक के चैन का पुरवा में दिखाई देने लगे है। यही नहीं उन्होंने थानाध्यक्षों में भी इस मंशा को मजबूत किया है कि मधुमक्खी पालन को करके पुलिस विभाग जहां स्वयं एक अलग आर्थिक कोष की प्राप्ति कर सकता है वहीं दूसरी ओर समाज के बेरोजगारों के लिए उदाहरण भी बन सकता है। 


कप्तान डॉ अरविंद चतुर्वेदी बातचीत में साफ कहते हैं कि ज्यादातर लोग बड़ा करने का प्रयास करते हैं और कभी-कभी असफल हो जाते हैं। मेरा मानना है कि हम सभी को अच्छा प्रयास भले ही वो छोटा हो उसे करते रहना चाहिए। छोटा प्रयास ही आगे चल कर समाज में स्थापित होता नजर आता है। कप्तान स्वयं पुलिसकर्मियों से रूबरू तो होते ही हैं बल्कि वह पुलिसकर्मियों में जो उनकी नैसर्गिक प्रतिभा है उसको उकेरने के लिए भी पूरी ताकत झोंकते हैं। स्वयं जागरूकता फैलाने के लिए प्रभात फेरी गीत करवाते हैं। और छोटे से छोटे पुलिसकर्मी की सही बात को सुनते हैं तथा उस पर गंभीरता से निर्णय भी लेते हैं। पुलिसकर्मियों को उनका साफ संदेश है कि इस विभाग में नौकरी पाने के बाद आपकी जिम्मेदारी केवल स्वयं तथा परिवार के पालन-पोषण तक सीमित ही नहीं रहती बल्कि समाज के प्रति भी आप एक बड़ी जिम्मेदारी का निर्वाहन कर सकते हैं। ऐसे में एक पुलिसकर्मी का स्वालम्बी होना, संस्कारित होना ,सेवा कार्यों में आगे रहना, बातचीत में सरलता रखना ,ये सभी गुण ऐसे कर्म योद्धा का निर्माण करते है जिससे पुलिस मित्र की परिभाषा सही ढंग से परिभाषित होती है। कुल मिलाकर डॉ अरविंद कुमार चतुर्वेदी के यह अभिनव प्रयास प्रदेश में पुलिस विभाग के लिए उदाहरण बन सकते हैं। जिसकी आज बाराबंकी के आवाम में अथवा जो इसे जानता व सुनता है उसमें भी प्रशंसा का कारक बना हुआ है ।लोग इसकी जमकर सराहना भी कर रहे हैं।