उ.प्र.संगीत नाटक अकादमी मुक्ताकाश मंच पर नृत्यनाटिका का मंचन
नृत्य गतियों में कलाकारों ने बताया ‘प्रेम न हाट बिकाय’

 

लखनऊ,। लगभग छह महीने बाद आज शाम उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी गोमतीनगर में कलाकारों-कला प्रेमियों की हलचल दिखाई दी। अकादमी के ओर से यहां मुक्ताकाशी मंच पर यायावर रंगमण्डल की नृत्य नाटिका का मंचन यहां कोविड-19 के नियमों के तहत ई-पास से पहुंचे सीमित दर्शकों की बीच किया। छवि मिश्रा द्वारा लिखित इस नाटिका का निर्देशन टेरेन्स लुईस के शिष्य पुनीत मित्तल ने किया। प्रस्तुति अकादमी फेसबुक पेज पर भी लाइव थी।
कार्यक्रम मंे अतिथि बिग्रेडियर रवीन्द्र श्रीवास्तव व अन्य गणमान्य अतिथियों का स्वागत करते हुए अकादमी के सचिव तरुण राज ने दर्शकों से कहा कि कोविड-19 की सारी दुश्वारियों और कठिनाइयों को देखते हुए आज से एक सौ दर्शकों के बीच खुले मंच पर सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए जो छूट दी गई, उसमें अकादमी ने पहले ही दिन यह प्रस्तुति सजग करने की दृष्टि से कलाकारों के संग ही सबके उत्साहवर्धन के लिए रखी है कि हमें कोरोना से डरना नहीं है, जागरूक रहते हुए मास्क पहनने, हाथ धोते रहने, दो गज की सामाजिक दूरी बनाए रखने जैसी सावधानियां बनाए रखनी है, साथ ही कारगर उपायों से अपने और अपने पारिवारिक सदस्यों की ‘इम्यूनिटी’ बनाए रखना हैं।



नृत्य नाटिका में दिखाया गया कि अनवर और अवनी एक दूसरे से प्रेम करते हैं, उनके प्यार की मिसाल दूर-दूर तक दी जाती है। अचानक मालूम पड़ता है कि अवनी के दिल में जन्मजात सुराख है, वह बच नहीं पाती। हताशा में अनवर आत्म हत्या के बारे में सोचता है। तभी उसके स्वप्न में अवनी आकर उसे अपने साथ ले जाती है। दोनांे खुशी-खुशी साथ रहने लगते हैं। अंत के करीब दर्शकों को मालूम पडता है कि यह पूरी कहानी अनवर की पत्नी सुना रही है। वह एक पत्नी होकर अपने पति के पहले प्यार और प्रेम के प्रति समर्पण को न सिर्फ समझती है बल्कि उसे स्वीकार भी करती है। ‘मोको कहां ढूढे रे बन्दे, जरा याद करो कुर्बानी, शेडो और वतन के वास्ते’ जैसी प्रस्तुतियां तैयार कर चुके निर्देशक पुनीत ने इस नाटिका में नृत्य के माध्यम से दोनों के प्यार और बिछुड़ने को दर्शनीय संयोजनों व गतियों में ढाला है। निर्देशक ने नाटिका में ‘पिया हाजी अली...., शिवोहम्...., दमादम मस्त कलन्दर...., कुन फाया कुन...., चदरिया झीनी रे झीनी.... व छाप तिलक सब.... जैसे गीतों पर कथक, भरतनाट्यम, फ्यूजन, सूफी व कन्टम्परेरी नृत्य की गतियों का प्रयोग किया। मंच पर समय-समय पर कलाकार मास्क लगाये दिखे।  



मानवीय संवेदनाओं को रेखांकित करती प्रस्तुति में अनवर के रूप में निर्देशक पुनीत, अवनी की भूमिका में पिंकी पाण्डेय व पत्नी की भूमिका में लेखिका छवि मिश्रा के साथ अन्य भूमिकाओं में जाह्नवी अवस्थी, आकाश कुमार, अंकिता सिंह, आदर्श पाण्डेय, काजल शर्मा, अनुभव श्रीवास्तव, आदित्य सोनी, प्रेक्षा गुप्ता, सुनीता तिवारी, साक्षी बत्रा, गोविन्द यादव, सौम्या वर्मा, अभिषेक राजपूत, दिव्या उपाध्याय व स्निग्धा मालवीय ने अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। मंचपाश्र्व के पक्षों को मोहम्मद हफीज, अनूपकुमार सिंह, शिवजीत वर्मा, आदर्श सिंह, संजीव तिवारी, रोजी दूबे, मनोज वर्मा ने सम्भाला। अकादमी प्रवेश द्वार पर दर्शकों की थर्मल स्क्रीनिंग, मास्क और हाथों के ‘सेनेटाईजेशन’ की व्यवस्था की गयी थी।