उत्तर प्रदेश में बाढ़ का संकट गहराया, कई गांवों का संपर्क मार्ग डूबा 

उत्तर प्रदेश के 20 जिले बाढ़ से प्रभावित,गांव के गांव डूबने लगे हैं


बाढ़ में डूबे गांवों में विद्युत व्यवस्था भी चरमरा गई है


बाढ़ का कहर जारी, बालिका सहित दो की डूबकर मौत 


उत्तर प्रदेश में बाढ़ का संकट गहराया, कई गांवों का संपर्क मार्ग डूबा   


त्रिनाथ कुमार शर्मा 


लखनऊ । उत्तर प्रदेश में कई नदियों के उफनाने से आई बाढ़ ने एक बार फिर कहर ढाना शुरू कर दिया है। सरयू, घघरा के बढ़े जलस्तर ने कई गांवों को प्रभावित किया है। तराई क्षेत्रों में नदियों का पानी खतरे के निशान के ऊपर बह रहा है। प्रदेश में 16 जिले बाढ़ की चपेट में हैं। बहराइच-महसी तहसील के जुगलपुरवा, जरमापुर, जमई गांव बाढ़ के पानी से घिर गए हैं। लोगों के सामने अवागमन का एकमात्र साधन नाव है।


राहत आयुक्त कार्यालय के अनुसार प्रदेश में अब तक उत्तर प्रदेश के 20 जनपदों अंबेडकरनगर, अयोध्या, आजमगढ़, बहराइच, बलिया, बलरामपुर, बाराबंकी, बस्ती, गोंडा, गोरखपुर, कुशीनगर, लखीमपुरखीरी, मऊ, सिद्धार्थनगर, महाराजगंज, देवरिया, संतकबीरनगर, पीलीभीत, प्रतापगढ़ तथा सीतापुर, के 802 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। उत्तर प्रदेश में शारदा नदी, पलिया कला लखीमपुर खीरी, सरयू नदी, तुर्तीपार बलिया, राप्ती नदी बर्डघाट गोरखपुर, सरयू (घाघरा) नदी-एल्गिनब्रिज बाराबंकी और अयोध्या में अपने खतरे के जलस्तर से ऊपर बह रही।


राहत आयुक्त कार्यालय ने बताया कि इस समय शारदा नदी पलियाकलां में खतरे के निशान से 154,100 मीटर से ऊपर बह रही है। वहीं, बाराबंकी में सरयू और घाघरा अपने जलस्तर 106. 070 मीटर से 0.556 मीटर ऊपर बह रही है। अयोध्या में सरयू 92.730 मीटर जलस्तर से 0.80 मीटर ऊपर और तुर्तीपार 64.01 मीटर जलस्तर से 0.180 मीटर ऊपर बह रही है। बाढ़ के हालात को देखते हुए प्रदेश में बचाव के लिए 303 शरणालय बनाए गए हैं। अब तक 61892 खाद्य किट बांटी जा चुकी है। 627 नावें चलाई जा रही हैं। 735 बाढ़ चौकियां स्थापित की गई हैं। 265 मेडिकल टीमों को अलर्ट किया गया है।


राहत आयुक्त संजय गोयल ने बताया कि बाढ़ प्रभावित जनपदों में सर्च और रेस्क्यू के लिए एनडीआरएफ की 15 टीमें लगाई गई हैं। पीएसी और एसडीआरएफ की सात टीमें अलग लगी हैं। अधिकारियों से तटबंध वाले इलाकों में लगातार गश्त लगाने को कहा गया है। यह भी कहा गया है कि पशुओं के लिए पर्याप्त चारे और आहार की व्यवस्था की जानी चाहिए।


शारदा, राप्ती एवं सरयू जैसी प्रमुख नदियां कुछ जगहों पर खतरे का निशान पार कर गयी हैं जिससे आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। राहत आयुक्त संजय गोयल ने मंगलवार को बताया कि महाराजगंज, आंबेडकरनगर, अयोध्या, आजमगढ, बहराइच, बलरामपुर, बाराबंकी, बस्ती, गोण्डा, गोरखपुर, कुशीनगर, लखीमपुर खीरी, मउ, संत कबीर नगर, सिद्धार्थनगर और सीतापुर जिले बाढ से प्रभावित हैं। उन्होंने बताया कि कुल 777 गांव बाढ की चपेट में हैं। शारदा नदी पलियांकला, राप्ती नदी बर्डघाट (गोरखपुर) और सरयू एल्गिन ब्रिज (बाराबंकी), अयोध्या एवं तुर्तीपार (गोरखपुर) में खतरे के लाल निशान को पार कर गयी हैं। गोयल ने तटबंधों की स्थिति के बारे में बताया कि सोमवार को कहीं कहीं दिक्कत थी लेकिन उसे ठीक कर लिया गया है। बाढ के पानी से हालांकि उक्त गांवों की आबादी पर ज्यादा असर नहीं हुआ है। मरम्मत का कार्य जहां रह गया है, उसे जल्द पूरा कर लिये जाने की संभावना है। 


बाढ़ में फसल डूबने के साथ ग्रामीणों की माली हालत भी गड़बड़ाने लगी है। वहीं, श्रावस्ती में हल्की बारिश के बावजूद राप्ती का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। इस कारण लोग सहमे हुए हैं। बहराइच के राहुल ने बताया कि महसी तहसील में एक दर्जन से ज्यादा गांव बाढ़ की चपेट में हैं। ज्यादातर गांवों के संपर्क मार्ग बाढ़ से प्रभावित हो गए हैं। लोगों को पानी के अंदर से होकर आना पड़ रहा है। लोग गांवों से ऊंचे स्थानों में रह रहे हैं।


हालांकि लोगों के पास व्यवस्था अभी उतनी नहीं है, जितनी होनी चाहिए। गांव के गांव बाढ़ के पानी में डूबने लगे हैं। इसके अलावा बाढ़ में डूबे गांवों में विद्युत व्यवस्था भी चरमरा गई है। इधर जिला प्रशासन के अधिकरियों का कहना है कि बाढ़ और कटान के हालात पर लगातार नजर रखी जा रही है। लोगों को किसी प्रकार की दिक्कत न हो, इसके लिए लगातार प्रयास जारी है।


उधर, शारदा नदी की तेज लहरों ने ग्राम ढकिया सूरजपुर के पास कई तटबंध को कई जगह पर काट दिया है। बाढ़ के पानी के कारण खेत डूब गए हैं। तटबंध की मरम्मत के लिए सिंचाई विभाग तेजी से कार्य कर रहा है। राहत आयुक्त कार्यालय के अनुसार, प्रदेश में अब तक 16 जनपद- अंबेडकरनगर, अयोध्या, आजमगढ़, बहराइच, बलिया, बलरामपुर, बाराबंकी, बस्ती, देवरिया, गोंडा, गोरखपुर, खीरी, कुशीनगर, मऊ , संतकबीर नगर तथा सीतापुर के 642 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। इनमें से 362 गांव जलमग्न हैं।


जिले में सरयू नदी की बाढ़ का संकट कम नहीं हो रहा। सिरौलीगौसपुर, रामनगर व रामसनेहीघाट तहसीलों के 80 गांवों की 40 हजार से ज्यादा आबादी प्रभावित है। रामनगर क्षेत्र में बाढ़ के पानी में डूबकर मंगलवार को दो लोगों की मौत हो गई। 15 हजार 346 पशुओं के लिए चारे का जबरदस्त संकट है। 12 लोगों के झोपड़ी वाले मकान भी बाढ़ में बह चुके हैं। सोमवार को रक्षाबंधन का त्योहार बाढ़ संकट के बीच मनाया गया। नाव से बहनें राखी बांधने पहुंचीं। मंगलवार की सुबह नौ बजे जल स्तर खतरे के निशान 106.070 मीटर के सापेक्ष 107.060 मीटर रहा जो शाम को पांच बजे घटकर 106.946 मीटर रह गया। अब खतरे के निशान से 88 सेंटीमीटर जलस्तर ऊपर है।


बाढ़ से प्रभावित रामनगर इलाके के निजामुद्दीन पुर निवासी शिव मूरत यादव की गणेशपुर मोड़ के निकट पानी में डूबकर मौत हो गई। महादेवा पुलिस चौकी इंचार्ज वेदप्रकाश शर्मा ने गोताखोरों को बुलाकर शव बाहर निकलवाया। ग्राम नयापुरवा मजरे मोहड़वा में अपने ननिहाल अब्बास अली के घर आई आठ वर्षीय नगमा पुत्री सिराज निवासी ग्राम खुर्दा थाना महमूदाबाद जिला सीतापुर की गांव के निकट तटबंध के किनारे पानी में डूबकर मौत हो गई। नगमा बच्चों के साथ खेल रही थी। तभी पानी में डूब गई। तहसीलदार आकाश संत भी मौके पर पहुंचे और घटना की जानकारी ली। बाढ़ क्षेत्र के गांवों के अंदर जाने वाले मार्गों पर पानी बह रहा है। हेतमापुर जाने वाले मार्ग पर मंगलवार को एक वाहन फंस गया। उसे निकलवाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। गांवों के अंदर लोगों के घरों में भी पानी भरा है। उसी पानी में वह तख्त पर या मकानों की छतों पर रह रहे हैं। लंच पैकेट गांवों के अंदर नहीं पहुंच रहे।


एडीएम संदीप कुमार गुप्ता ने बताया कि प्रशासन की ओर से सोमवार को पशुओं के लिए 91 क्विंटल भूसे की, सोमवार को नौ हजार व मंगलवार को पांच हजार लंच पैकेट पीड़ितों को दिए गए हैं। रामनगर क्षेत्र में जन सहयोग से भी दो हजार लंच पैकेट बंटवाए गए हैं ताकि उन लोगों को भोजन के लिए परेशान न होना पड़े। रोग नियंत्रण की चुनौती : बाढ़ इलाके में मंगलवार को 449 लोगों को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने दवाइयां बांटीं। बुखार, खांसी, पेटदर्द, खुजली, दाद, नेत्र विकार, उदर विकार के मरीज मिल रहें हैं। पशुओं को भी बीमारियों का खतरा है। दो पशु मर चुके हैं। 90 पशुओं का भी टीकाकरण किया गया। अब तक 660 पशुओं का टीकाकरण व 3087 लोगों को विभिन्न रोगों की दवाएं बांटी जा चुकी हैं। 46 गांव पूरी तरह बर्बाद : बाढ़ से 46 गांव पूरी तरह बर्बाद हैं। इन गांवों के अंदर व बाहर खेतों में भी पानी भरा है। जबकि 33 गांवों के चारों तरफ पानी भरा होने से खेती पूरी तरह चौपट है। तीन गांवों में तो कटान के चलते खेती व आबादी की जमीन नदी में समा रही है।


 
 


 


खस्ताहाल सड़कों ने बढ़ाया बाढ़ प्रभावितों का दर्द



एल्गिन ब्रिज पर सरयू नदी का जलस्तर शनिवार को खतरे के निशान से महज दो सेमी ऊपर दर्ज किया गया। जिले की बाढ़ प्रभावित रामनगर, सिरौलीगौसपुर व रामसनेहीघाट तहसील के करीब 100 गांवों में जलभराव की समस्या बरकरार है। बाढ़ प्रभावित इलाकों के गांवों को जोड़ने वाले मार्गों की हालत जर्जर हो गई है। उसमें पानी भर गया है अथवा गड्ढे हो गए हैं। इससे साइकल से गुजरना भी मुश्किल हो गया है। मवेशियों के चारे का भी खासा संकट हो गया है।