हाथरस कांड: ईडी ने जेल में बंद आरोपियों से की पूछताछ
इससे पहले 13 अक्टूबर को मथुरा के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय नई दिल्ली के असिस्टेंट डाइरेक्टर पीएमएलए विनय कुमार के प्रार्थना पत्र पर ईडी को जिला जेल मथुरा में जाकर आरोपियों से पूछताछ की अनुमति दी थी। ईडी ने पीएफआई (पापुलर फ्रंट आफ इंडिया) के विरुद्ध दो मई 2018 को दर्ज मनी लांड्रिंग के मुकदमे में पूछताछ की अनुमति मांगी थी। ईडी का कहना था कि मथुरा जेल में निरुद्ध मसूद पीएफआई का कार्यकर्ता है और उसने पीएफआई के खाते से धनराशि भी प्राप्त की है।
ईडी ने की गहन पूछताछ
इसके अलावा वह संगठन के महासचिव मोहम्मद इलियास के संपर्क में रहा है। फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगों में भी उसकी भूमिका रही है। ईडी ने जेल में चारों अभियुक्तों से गहन पूछताछ की। इससे पहले चारों के खिलाफ मथुरा जिले के मांट थाने के सब-इंस्पेक्टर ने चारों के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 ए, 295 ए व 124 ए के अलावा गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की धारा 17 व 14 और आईटी एक्ट की धारा 65, 72 व 76 के तहत दर्ज कराया। इसमें सिद्दीक निवासी मलप्पुरम (केरल), अतीकुर्रहमान निवासी मुजफ्फरनगर, आलम निवासी रामपुर व मसूद बहराइच को जेल भेजा गया।
महिला डॉक्टर की भूमिका पर जुटाई थी जानकारी
हाथरस की घटना के बाद पीड़िता के चंदपा थाना क्षेत्र स्थित बुलगढ़ी गांव पहुंची एक महिला की संदिग्ध भूमिका स्थानीय पुलिस व एसआईटी की जांच में सामने आई थी। उस समय वह पीड़िता की भाभी बनकर उसके परिवार में रह रही थी। बाद में जांच में पता चला कि वह मध्य प्रदेश के जबलपुर की रहने वाली राजकुमारी बंसल हैं, जो पेशे से डॉक्टर हैं। जांच टीम को यह खटक रहा था कि पीड़िता के परिवार से कोई सीधा रिश्ता न होते हुए भी वह कैसे उसके गांव तक पहुंचीं और वहां मौजूद रहकर परिवार के सदस्य की तरह मीडिया और अफसरों से बातचीत करती रहीं। कई मुद्दों पर परिवार को उकसाने की उनकी कोशिशों और जातीय उन्माद पैदा करने वाले उनके बयानों ने भी पुलिस का ध्यान आकर्षित किया था। इस बीच महिला डॉक्टर का भीम आर्मी से जुड़ाव भी सामने आया है।