‘कौन सिखाता चिड़ियों को चीं-चीं करना.....’
पुस्तक मेला समितियों की प्रतियोगिताएं 

 

लखनऊ । अकबरी लोटे की दिलचस्प कहानी ने बच्चों के साथ व्यस्क श्रोताओं को बांधा तो बच्चों द्वारा प्रस्तुत लोक नृत्य में अलग-अलग अंचलों की झलक मिली। राष्ट्रीय पुस्तक मेला समिति और लखनऊ पुस्तक मेला समिति द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित ऑनलाइन प्रतियोगिताओं के क्रम में आज राजस्थानी, गुजराती, दक्षिण भारतीय प्रदेषों के लोक नृत्यांे को बाल युवा वर्ग प्रतिभागियों ने प्रस्तुत किया और कथा रंग के व्यस्क सदस्यों ने बच्चों के लिए कहानी पेष की। प्रतियोगिताओं के क्रम में कल शाम पांच बजे से ‘मेरे मन की बात’ स्पर्धा में बच्चों को अपना मन खोलकर प्रेरक बातें कहने का अवसर मिलेगा। साथ ही साहित्य सरिता संस्था की ओर से दोपहर 12 बजे से काव्य समारोह होगा।
आज की प्रतियोगिताओं में पहले लोकप्रिय कवियों की रचनाओं का पाठ प्रतिभागियों ने किया। श्यामनारायण पाण्डेय की- रण बीच चैकड़ी भर-भर कर चेतक बन गया निराला था का पाठ आन्या मदार ने किया। शिवान्या गुप्ता ने बच्चन की- रंगों की पहचान फूल...... तो अक्षिता सिंह ने- कोशिश करने वालों की हार नहीं होती...., प्रणव तिवारी ने द्वारिकाप्रसाद महेश्वरी की- कौन सिखाता चिड़ियों को चीं-चीं करना....., संस्कृति ने दिनकर की चांद का झिंगोला कविता तो आर्या ने सुभद्राकुमारी चैहान की कदम्ब का पेड़ कविता सुनायी। इसके अलावा राबिन, अवनीत कौर आदि ने भी कविताएं सुनाईं। कविताओं के बाद कहानियों की बारी आई तो आर्या सिंह ने संगति का असर, प्रणय पाण्डेय ने गणेशजी की दावत जैसी मजेदार कहानी सुनाकर घमण्ड न करने का संदेश दिया। तेजस्वी ने गुरु की महिमा का बखान कहानी गुरु ज्ञान का भण्डार में सहजता से किया। अभिश्री ने किरन मजूमदार शाह शीर्षक से इसी व्यक्तित्व पर प्रेरक कथा सुनायी।